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________________ राजतिलक कई साहब बहादुरोंने उनके पिताको जो जो चिट्टियाँ लिखी थीं, वही अब मानो बिलकुल भूलसे आप ही आप उनकी जेब मेंसे गिरने लगीं और सालियों के हाथ तक पहुँचने लगीं । जब सालियोंके सुकोमल बिम्बोष्ठों के भीतरसे तीक्ष्ण हँसी भड़कदार मखमली स्थानके भीतरके चमचमाते हुए छुरेके समान दिखलाई देने लगी, तब भागे नवेन्दुको होश आया कि स्थान, काल और पात्र ठीक नहीं हैं। समझा कि मैंने बहुत बड़ी भूल की। २७ सालियों में जो सबसे ज्येष्ठा और रूप- गुण में श्रेष्ठा थी, उसने एक दिन शुभ मुहूर्त्त देखकर नवेन्दुके सोनेके कमरे के एक ताकमें दो जोड़े विलायती बूट सिन्दूर - मण्डित करके स्थापित कर दिये और उनके सामने फूल चन्दन और दो जलते हुए दीपक रखकर धूप जला दी । ज्यों ही नवेन्दुने घरमें प्रवेश किया, त्यों ही दो सालियोंने उनके कान पकड़कर कहा कि आप अपने इष्ट देवको प्रणाम कीजिए। इनकी कृपा से आपकी पद-वृद्धि होगी । तीसरी साली किरणरेखाने बहुत दिन परिश्रम करके एक ऐसी चादर तैयार की थी जिसमें जॉन्स, स्मिथ, ब्राऊन, टाम्सन आदि एक सौ प्रचलित अँगरेजी नाम लाल सूतसे काढ़े गये थे और एक दिन बड़े समारोह के साथ उसने यह नामावलीयुक्त चादर नवेन्दु बाबूको भेंट कर दी । मैं चौथी साली शशांक रेखाने, जो उमरमें छोटी थी, कहा-जीजाजी, एक जपमाला तैयार कर दूँगी। आपको साहबका नाम जपने में सुभीता हो जायगा । इसपर उसकी बड़ी बहनोंने डाँटकर कहा- चल ! तुझे इस तरह छोटे मुँह बड़ी बात न करनी चाहिए।
SR No.010680
Book TitleRavindra Katha Kunj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi, Ramchandra Varma
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1938
Total Pages199
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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