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________________ पृष्ठ संख्या पंक्ति संख्या १ सन्दर्भ १ १ ८ ७ १५ १६ ४५ ४८ ४९ ५६ ५६ ७३ ७५ ७६ ७७ ७८ ७८ ૮૪ ९० ८२ ६४ १०१ १०२ १०३ १०४ १०६ ११० ११२ १२० १३५ १३८ १४५ १५० १६८ २० १५ २५ ६ २१ ३ ६ ३ ९ १२ २० ६ १८ २४ २५ २ ७ २३ १० २० २ ३ १६ २४ ११ ३० शुद्धिपत्रक अशुद्ध पाठ प गूढ़पाद क्र०सं० २.३.१ भावानात्मक स्परूप सरलता कोलत अनुभूतियां नहूय मूला इसमें दिगम्बर दिगम्बर सती में लग तपागच्च आनन्द झखं निसीनी कहां बताबुरं धीरे प्रिया समता भावदशा मांगे पीरा कुमती चेतना-चेतना में समाभिरूढ़ घी अपेक्षा कलपना शुद्ध पाठ गूढ़वाद क्र०सं०] १.२.३ भावनात्मक स्वरूप सरसता झोलत अनुश्रुतियाँ नहयमूला इससे श्वेताम्बर दिगम्बर शती में तक तपागच्छ आनन्दघन झूरु निसाणी कहां बतार्बुरे पइए थीरे त्रिया समता रूप स्वभाव दशा भांगे वीरा कुमति चेतन-चेतना की समभिरूढ़ धी उपेक्षा कल्पना रड़बड़े
SR No.010674
Book TitleAnandghan ka Rahasyavaad
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size28 MB
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