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________________ अनुक्रम m Gone Kum MY m m" " x प्रभुप्राजा का स्वरूप २ आजा का साम्राज्य उत्कृष्ट अ.मोदना एव गर्दा नमस्कार से माध्यस्थ्य परिणति ५ नमस्कार मर्मस्पर्शी ६ ज्ञानचेतना का आदर __ श्रवण मनन निदिध्यासन ८ अमनस्कता का मत्र ६ सम्मान का सर्वोत्कृष्ट दान १०. सर्वोत्कृष्ट शरणागति ११ कल्याण का मार्ग मत्रचैतन्य की जागृति शब्दब्रह्म द्वारा परब्रह्म की उपासना कृतज्ञता एवं स्वतन्त्रता शातरस का उत्पादक १६ नमो मत्र अनाहतस्वरूप रुचि अनुयायी वीर्य १८ अनाहतभाव का सामर्थ्य नमस्कार प्रथम धर्म क्यो? २० मिथ्याभिनिवेश का परम औपध २१. नम्रता एव आधीनता २२. नमस्कार सभी धर्मों का मूल २३. मत्र के अनेक अर्थ २४ अक्षयफल देने वाला दान २५. नमो द्वारा सर्व समर्पण २६ नमो से होती भक्ति एव पूजा की क्रियाए २६ सभी अवस्थायो में कर्तव्य 9 sal 02.24MM 2 220
SR No.010672
Book TitleMahamantra ki Anupreksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrankarvijay
PublisherMangal Prakashan Mandir
Publication Year1972
Total Pages215
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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