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________________ 262 Pandit Jugal Kishor Mukhtar Yugveer" Personality and Achievements 3. क्या रूपयों का दान करने वाला ही बड़ा दानी हो? रूपयों के अलावा अन्य वस्तु या गुणों का दानी क्या दानी नहीं? सर्वप्रथम लेखक ने अध्यापक के माध्यम से समझाया मात्र रू. का दान ही दान नहीं बल्कि निःस्वार्थ प्रेमसेवा, अभयदानादि अथवा क्रोधादि कषायों का त्याग, दया, क्षमा भाव आदि ऐसी चीजें या गुणों के माध्यम से जो सेवा, उपकार किया जाता है रू. आदि की तुलना में ज्यादा अमूल्य है अनुपम है। ऐसे दानी बड़े होते हैं लेखक ने दान के दिये जाने के कारण भावों को बतलाते हुये उनकी समालोचना और तुलना करने के लिए चार उदाहरण देकर श्रेष्ठ दान की परिभाषा समझाने का प्रयत्न किया है1. एक वह दानी जो सेना के लिए दो लाख रूपये का दान करता है। 2. दूसरा आक्रमण के लिए दो लाख रू का हथियार दान करता है। अपने ही आक्रमण में घायल हुये सैनिकों की मर्हमपट्टी के लिए दो लाख रू. की दवाइयों आदि के लिए दान करता है। अकाल पीडितों एवं, अन्नाभाव के कारण भूख से तड़फ-तड़फ कर मरने वाले निरपराध प्राणियों की प्राण रक्षा के लिए दो लाख रूपये का अन्नदान करता है। यद्यपि उक्त चार दानों में रूपयों की राशि समान है किन्तु दान में द्रव्यदाता और पात्र से कितना अन्तर आ गया है परखदृष्टि से बड़ी सुगमता से समझाया है कि मांस, हथियार तथा परस्पर हिंसक लडाई से घायल को दवाई आदि इन तीनों के आगे निःस्वार्थ, जरूरतमंद सुपात्रों को अन्नदान को अपेक्षाकृत बड़ा माना जायेगा। फिर भी इस चौथे दान को और भी सूक्ष्म (पैनी) दृष्टि से परीक्षा करते हुये बताया है। दान देने की परिस्थितियां इस प्रकार रही हों तो फिर दान की श्रेष्ठता क्रम
SR No.010670
Book TitleJugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year2003
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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