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________________ - 166 Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugvoer" Personality and Achievements कृतियों का अध्ययन नहीं करता, किन्तु आपने लोक जीवन के मर्म को प्रस्तुत किया है। इसी कारण जनसमूह आपका अध्ययन और मनन कर उद्बोध प्राप्त करता है। प्रस्तुत पद्य में मुख्तार जी के कविहृदय ने अपने आराध्य को लोक जीवन का नायक सिद्ध कर सर्वोदय सिद्धान्त की प्रतिष्ठा की है - दैवज्ञ-मान्त्रिक-भिषग्वर -तान्त्रिकोयः, सारस्वतं सकल-सिद्धि-गतं च यस्य। मान्यः कविर्गमक-वाग्मि-शिरोमणि स, वादीश्वरो जयति धीरसमन्तभद्रः॥ कवि ने पौराणिक आख्यानों का अवलम्बन लेकर अपने आराध्य समन्तभद्राचार्य का महत्त्व प्रतिपादित किया है। वे कहते हैं कि इस कलिकाल में जिन्होंने अपनी भक्ति की शक्ति के प्रभाव से चन्द्रप्रभ भगवान् को प्रकट कर राजा शिवकोटि और उनके भाई शिवायन को प्रभावित किया वे समन्तभद्र स्वामी कुमार्ग से हमारी रक्षा करें येन प्रणीतमखिलं जिनशासनं च, काले कलौ प्रकटितं जिनचन्द्र बिम्बम् । प्राभावि भूपशिवकोटि-शिवायनं वै, स्वामी स पातु यतिराज-समन्तभद्रः।' मुख्तार साहब की विलक्षण प्रतिभा का रूप प्रस्तुत काव्य में देखा जा सकता है, जिसमें उन्होंने समन्तभद्र स्वामी की कृतियों का समावेश कर पवित्र मन की इच्छा प्रकट की है देवागमादि-कृतयः प्रभवन्ति यस्य, यासां समाश्रयणतः प्रतिबोध माप्ताः। पात्रादिकेसरि-समाः बहवो बुधाः स, चेतः पुनातु वचनर्द्धि-समन्तभद्रः।
SR No.010670
Book TitleJugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year2003
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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