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श्री सीमंधर स्वामीनी विनतिरूप सवासो गाथाना
स्तवननी स्थूल विषयानुक्रमणिका. ढाल.
विषय. १ कुगुरुने शीखामण गर्भित श्री सीमंधरस्वामीनी विनति करी छे । २ जीवस्वभाव ते धर्म अने वाधभाव ते मिथ्यात्व इत्यादि उपदेश कर्यो छे ३ आत्मद्रव्यना अनभिज्ञने गुणस्थान रुनो असद्भाव, आत्मा तेज सामायिक
ज्ञान-चारित्र आदिनु स्वरूप वर्णन करेल छे ४ आत्मा परमावनो अकर्ता, आत्मा अने पुद्गलनी मिन्नता, आत्मज्ञान ते
निश्चय दया अने परमाणीनी दया ते व्यवहार दया आदिनुं वर्णन . १० ५ क्रियानु उत्थापन करवाथी मात्र निश्चयनयन अवलंबन करवाथी अने
सद्व्यवहारनो लोप करवाथी श्री जिनधर्मनो लोप थाय छे .... .. ६ अशठ गीतार्थनी आचरणा ते शुद्ध व्यवहार, शिथिलाचारीओनो नियत
वासादिक जे आचार ते अशुद्ध व्यवहार, आदिनुं वर्णन ७ मु साधु-सुश्रावक अने संवेगपक्षी ए ऋण मोक्षना मार्ग वर्णन ८ दयानी खातर श्री जिनपूजाना निषेधकोने सदुपदेश ९ श्री जिनेश्वर देवनी द्रव्यपूना उपर ज्ञातासूत्र आदिमां कथन करेल द्रौ
पदी आदिनां दृष्टांतोनुं वर्णन १० द्रव्यस्तवने योग्य श्रावकोने द्रव्यस्तव संबंधी सदुपदेश ११ श्री सीमंघर जिननी स्तुति अने का नाम
श्रीमहावीरजिननी स्तुतिरूप (दोढसो 'गाथा प्रमाण)
हुंडीना स्तवननी स्थूल विषयानुक्रमणिका. ढाल
विषय १ स्थापना निक्षेपानी प्रमाणता, चार प्रकारना तथा दश मकारना सत्यतु स्वरूप,आवश्यकसूत्रनी प्रमाणता, स्थापनाज्ञान अथवा द्रव्यज्ञान वंभीलिपिनी प्रमाणता, चित्रामणस्थ स्त्रीनुं साधुओए अवलोकन न करवू, जंघाचारण विधाचारण मुनिओए करेल जिनमतिमाने वंदननो अधिकार,
चैत्यशब्दनो अर्थ ज्ञान नहीं इत्यादि वर्णन .... ... .... २ श्री जिनप्रतिमांनी पूजा उपर सूर्याभ देवादिनो अधिकार, पूर्वपच्छा - शब्दनो अर्थ, श्रीजिनदाढाओनी पूजा, सम्यग्दृष्टि देवताओनी आशावना
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