________________
दोढसो गाथा स्तवन
ARRAN
मार्ग, एम त्रिक चोक मार्ग. यावत् राजपथने विषे, हथिखधवरगया के हाथीना स्कयने विपे सीने, महया सणं के मोटे शब्देकरी, उग्घोसेमाणा के घोसणो करता, उग्घोसणं करेह के० उद्घोपणा करो एटले लोकने एम जणावो. एव खल्लु देवाणुप्पिया के हे देवानुप्रियो एवी रीते, थावच्चापुत्ते ससारभचिग्गे के० थावच्चापुत्र ससारना भपथी उद्वेग पाम्याछे. भीए जम्ममरणाग के जन्म मरणयो पीहोन्याछे. इच्छइ अरहोगं अरिएनेमिस्स अंतिए के अरिष्टनेमि अरिहंतने पासे इच्छे छे. मुढे भवित्ता पन्चइत्तए के मुंड यइने प्रवा लेवाने, तं भो खलु देवाणुप्पिया के०हे देवानुप्रिय. जे कोइराया वा जुवराणा के० राजा अथवा युवराज, देवो वाके०राणीममुख, कुमारो वा के०कुमार ईसरो वा के ईश्वर, तलवरे वा के० कोटवाल, कोइंबिय के कुटुंपना स्वामी, सेट्टी सेणाव के शेठ सेन पति, सत्यवाहे वा के०सार्थवाह, थावचापुत्तं पञ्चयंतमणुपव्वयति के० यावच्चापुत्र दीक्षा लेताने पछवाढे दीक्षा लीए, एटले थावच्चापुत्र साथे दीक्षा लीए तस्स णं कन्हे वासुदेवे अणुज णइ के० तेहने कृष्णवामदेव आज्ञा आपेछे. पच्छा के० ते राजा दीक्षा लीधे थके पछवाडे, आउरस्सावि य के आतुर जे धनादिकने अभाव दुःखी हशे, से के तेहना. मित्तणाइ के मित्र ज्ञाति एटले पोता संबंधी परिजनने, जोगखेनं वट्टमाण के योग क्षेम वर्तमान वहेशे. एटले जेहनी पासे नहीं होय तेहने आपशे; ते योग कहीए; अने जेहनो पासे हगे तेहने पालशे तेहने क्षेम कहीए, ते योग तथा क्षेम वर्तमानकाले जेम घटशे तेम राजा कृष्ण फरशे. एटले ए भाव जे-जे कोइ थावच्चापुत्र साथे दीक्षा ले तेहने पछवाडे तेना धरना निर्वाहनी चिंता कृष्ण करशे, ते अटकावे कोइ रहेशो नहीं. इति भान. घोसणं घोसेह के घोपणा करो. जार घोसेइ के० ते कौडविक पुरुप तेमज उद्घाणा करे. एणं थावञ्चापुत्तस्स अणुराएणं के० थावचापुत्रने रागे, पुरिससहस्स के क हजार पुरुष, णिक्खमणाभिमुहे के दीक्षा लेवा सन्मुख यया. हाय के० स्नानम्मुख करो, सव्यालंकारविभूसिय के.सर्व अलंकारे शोभित थइ, पत्नय पत्तेयं के प्रत्येके भिन्न भिन्न, रिसस्सहस्स वाहिणीस सिवियासु के हजार पुरुप उपाडे एवी शिविकाने विषे दुरुढ समाण के वेठा थकां, मित्तणाइपरिडं के मित्र ज्ञाते परिवरया. यावच्चापुत्तर अतिय पाउन. थावच्चापुत्रने समीपे प्रगट थाय एटले थावश्चापुत्रने पासे आवे. एण कन्हे वासुदेवे पुरिससहस्समंतिय पाउम्भवमाणं पासइ के० ते कृष्ण वासुदेव हजारे पुरूप आव्या देखे. काहुँविय पुरिसे सद्दावेइ के. कौटुबिक पुरुपने वोलावे वोलावीने, एव वासी के० एम कहे. जहा मेहस्स णिक्खमणाभिसेओ के जेम मेघकुमारनो निष्करणाभिषेक ते दीक्षा लेवानो अभिषेक करयो; तहेव के० तेमज, सेयपीएहिं के० भत पीलां एटले कनक रूपाने कलशे करी, व्हावेइ के० नवरावे, नाव अरहो अस्टिनेमिस्स छचाइछत्तं पडागाइपडाग पासइ के. अहींयां यावत् अरिहा अरिष्टनेमिना छत्राति छत्र पताका देखे, विज्जाहरचारणे जाव पासिचा के विद्यापर चारण मुंभक देवता आकाश थकी उतरता देखीने, सीयाओ
वच सुरेंजश्चामीकर तस्यच तथास.