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________________ २४ (८५) पद्दर्शनसमुच्चय- इसमें बौद्ध, नैयायिक, सांख्य आदि दर्शनोका संक्षेपसे पद्य में परिचय दिया है। (८६) पोडशक - इसमें धर्म, लोकोत्तरतत्व, जिनमंदिर, मूर्ति, पूजा, ज्ञान, दीक्षा, विनय, योग इत्यादि विषयों का विवरण है । (८७) संसारदावानलस्तुति । (८८) संस्कृतात्मानुशासन - श्रीसुमतिगणिने इसको गिनाया है । आत्मानुशासन (८९) संकितपंचसी । (९०) संग्रहणी - वृति - यह ' संग्रहणी' की वृत्ति है । (९१) समराइचकहा ( समरादित्यचरित्र ) - इसमें समरादित्यका चरित्र है । इसमें वैरकी परंपराका चितार है। (९२) संपश्चसित्तरि- इसकी पं. हरगोविंददासने नोध की है। (९३) संबोधसित्तरि । (९४) संबोहपयरण ( संवोधप्रकरण ) याने तत्वप्रकाशकइसमें देव, गुरु आदिका विवरण है । (९५) सर्वज्ञसिद्धि - इसमें सर्वज्ञकी सिद्धि की गई है । (९६) सर्वज्ञसिद्धि- टीका - यह ' सर्वज्ञसिद्धि ' की टीका है । (९७ सावगधम्म ( श्रावकधर्म ) - इसमें सम्यक्त्र और श्रावक के बारह व्रतोंका निरूपण है ।
SR No.010660
Book TitleDharmbindu
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorHirachand Jain
PublisherHindi Jain Sahitya Pracharak Mandal
Publication Year1951
Total Pages505
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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