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________________ ". स्वयम्भूस्तोत्र 4% विपय चरस्व विपम चरस्त्वं ८८ नृणा बेचारे ५ ५ ५ ५HM स्त्वयिजलद-जल योग्यसे मएडपेन नृणां बेचारे नपस्वी स्त्वयि जलज-दल योगसे मण्डपेन यं चिन्त्य x स्तुवन्ति A ५ १६ चित्य सभाऽसितया सभाऽऽसितया " १५ चैनं स्तुवन्ति चैनं सद्वितय द्वितय (२) निम्न पद-वाक्य ब्लैक टाइपमें छपने चाहिये थे, जब कि सादा सफेद टाइपमें छप गये हैं। अतः इनके नीचे ब्लैक टाइपकी सूचक रेखा (लाइन ) निम्न प्रकारसे लगा लेनी चाहिये जो एकन्त तत्त्व है २२. १ हे प्रभो ! प्रातःकालीन सूर्य-किरणोंकी छविके समान ४२ ६-७ क्योंकि आपके आत्मासे वैरभाव द्वेषांश-बिल्कुल निकल गया है बाह्य वस्तुकी अपेक्षा न रखता हुआ केवल आभ्यन्तर कारण भी २०-२१ गुण-दोषकी उत्पत्तिमें समर्थ नहीं है।
SR No.010650
Book TitleSwayambhu Stotram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1951
Total Pages206
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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