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________________ प्रस्तावना ही नोट्स भी लिये थे; परन्तु अन्यके प्रकाशनकी शीघ्रना, योग्य स्वास्थ्यकी कमी और दूसरी भी कुछ परिस्थितियोंके वश मैं वैसा नहीं कर सका । यदि ८० वर्षकी इस अवस्थाके बाद जीवन शेष रहा और ग्रंयकी द्वितीयावृत्तिका अवसर मिल सका तो उस समय अपने उक्त विचारको पूरा करनेका जरूर यत्न किया जायगा । ____ सन्मार्ग-प्रदर्शक गुरुदेव स्वामी ममन्तभद्रकी हृदयमें निरन्तर भावना रहनेसे मैं इस सत्कार्यको पूरा कर सका, इसके लिये मैं उनका हृदयसे आभारी हूँ | माथ ही, उन ग्रन्थकारोंका भी आभार मानता हूँ जिनके ग्रन्थोंका मुझे व्याख्या तथा प्रस्तावनाके लिखने में माहाय्य प्राप्त हुआ है। अनुवादादिके अनेक स्थलों पर मुझे पं० हीरालालजी सिद्धान्तशास्त्रीका सत्परामर्श प्रास हुआ है, इसके लिये मैं उनका भी आभारी हूँ | अध्यात्मरसिक ला० मक्खनलालजी ठेकेदारने ग्रन्थके प्रकाशनमें सहायताका प्रथम वचन देकर जो अनुवादादि कार्यको शीघ्र प्रस्तुत करनेके लिये मुझे प्रोत्साहित किया इसके लिये वे सभीके श्राभारपात्र हैं। शेष वहन जयवन्तीने ग्रन्थके अनुवादादिकी जो प्रेमकापी तय्यार करके दी और मेरी आँखका ऑपरेशन ताजा होनेकी वजहसे लिखने पढ़नेमें मुझे सहायता प्रदान की इसके लिये मैं उसका क्या आभार प्रकट करूँ ? यह तो उसका
SR No.010649
Book TitleAdhyatma Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1957
Total Pages137
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Religion
File Size4 MB
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