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________________ क्यामखां रासा; टिप्पण] १२१ निश्चित तिथि है। इससे लगभग चार साल बाद शेरशाह दिल्लीका बादशाह हुभा। रासाके भनुसार नाहरखांने उसकी अच्छी सेवा की । पृष्ठ ५०, पद्यांक ५९०. नागोरी खां और राना...... . रासामे राना और नागोरीबां इन दोनोंके नाम नहीं हैं। इसलिए यह घटना संदिग्ध है। इस समयके आसपास हजखांका अजमेर और नागोर दोनो पर अधिकार था, और उसे उदयपुरके महाराणा उदयसिंहसे युद्ध भी करना पड़ा था। किन्तु इस घटना का समय सन १५५७ ई. होनेके कारण गांगा और जैतसी आदि कई राजा और सरदार जिनके नाम रासाने गिनाये हैं, वास्तवमें उसमे वर्तमान नहीं हो सकते । उनका देहान्त इससे पूर्व ही हो चुका था। पृष्ठ ५४, पद्यांक ६४२. फदनग्यांन......! मुगल मनसबदारोम इसका नाम नहीं मिलता। अकबरको इसने किस सालमे वेटी दी यह भी मालूम नही होता। किन्तु घटना रामाकी रचनाले अविक दूर नही है, अतः इसकी सत्यतामें सन्देह करनेकी आवश्यकता नहीं। अनेक सामन्ती और राजाओंको वैवाहिक सम्बन्धों द्वारा अपनी तरफ करना अकबरको नीतिका एक अंग था। पृष्ठ ५४, पद्यांक ६४२. रायसाल की बांही......। ___ यह जातिका शेखावत था। इसके दादा रायमलके यहाँ शेरगाहके पिता हसनखां सूरने । कुछ दिन नौकरी की थी। रायसाल अकवरी दरवारमें जनानखाने पर तैनात था। इसकी जहाँगीरके समय दक्षिणमें मृत्यु हुई। अच्छा वीर पुरुप था । तबकाते अकबरीके अनुसार इसका मनसय २००० था। फदनखांसे यह कहीं अधिक प्रभावशाली रहा होगा। इसलिये रासाका यह कथन कि फदनखांकी जमानत पर बादशाहने रायसालको नौकर रखा था, संगत प्रतीत नहीं होता। पृष्ठ ५४, पद्यांक ६४३. बीदावत......। ये राव बीकाके भाई बीदाके वंशज थे। पृष्ठ ५७, पद्यांक ६७४. ताजखांका अलवरसे रेवाडी पर आक्रमण......! अकबरके राज्यमें ३४३ सालमें शेखावतोंने मेवातसे रेवाढी तक गडवड़ की । ३५ सालमे अकबरने शाहकुलीको उसे दबानेके लिए भेजा । संभव है ताजखां उस समय सेनाके साथ रहा हो। पृष्ठ ८२. पद्यांक ६६५, दयो फतिहपुर छत्रपति लिखि अपनौ फरमान......। अग्रिम पंक्तियोंसे प्रतीत होता है कि फतेहपुर कुछ समयके लिए क्यामखानियोंके हाथसे जाता रहा था। पृष्ठ ५८, पद्यांक ६८१. अलिफखांका पहाड पर आक्रमण......। कछवाहा जगतसिहकी अधीनतामें यह अकबरके ४२वें राजवर्ष अर्थात् सन् १५९३ ई. में
SR No.010643
Book TitleKyamkhanrasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1953
Total Pages187
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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