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________________ क्यामखां रासा; टिप्पण] १११ कुछ समयके लिए गुजरात लौटना पड़ा। सेनाके बहुतसे आदमी भूख, प्यास और बीमारीसे रास्तेम मर गये। दिल्लीमें भी बहुत दिनसे कोई समाचार न पहुँचनेके कारण घबराहट फैल गई। केवल प्रधान मन्त्री मलिक मकवूलकी सावधानी से स्थिति संभली रही। बादशाहकी अनुपस्थितिमें दिल्लीका कार्यभार इसीके हाथमें था। चौहानवंशी क्यामखांकी तरह मकबूल भी किसी समय हिन्दू था। किन्तु उसकी जाति राजपूत नहीं, ब्राहाण थी और वह शुरूमें तेलिंगानेका रहने वाला था। उसको मुसलमान बनानेका श्रेय भी फिरोज तुगलकको नहीं, मुहम्मद बिन तुगलकको है। मकवूलकी मृत्यु सन् १३७२-७३ में हुई। क्यामखां उससे कहीं अधिक समय तक जीवित रहा । उसकी मृत्यु सन् १४१९ में हुई । (देखें, शम्से सिराज अफीफकी तारीख फिरोज शाही) पृष्ठ १५, पद्यांक १७७. क्यामखानको नाम तब, राख्यो खांनु-जहान...... रामाके कथनानुसार क्यामखांने मुगलोंको हराया । इससे प्रसन्न होकर सुल्तान फिरोजशाहने उसे 'खान जहाँ' की उपाधि दी। किन्तु यह कथन भी अशुद्ध है। फिरोज़शाहके समय मुगलोंसे युद्ध प्रायः बन्द ही रहा। वास्तवमें क्यामखानी क्यामखां तो जीवनके अन्त तक क्यामखां ही रहा। खां जहांकी उपाधि तो उस मकवूलको मिली, जिसका हम उपरोक्त टिप्पणमें निर्देश कर चुके हैं। मकबूल (खां जहां) की मृत्युके उपरान्त फिरोज़शाहने उसके पुत्रको खां जहांकी उपाधि दी। रासाके रचयिताने यह भूल क्यों की इसका हमने अन्यत्र विशद रूपसे विचार किया है। यहाँ इतना ही कहना प्रर्याप्त होगा कि मकबूलको भी खां जहां बननेसे पूर्व किवांम-उलमुल्ककी पदवी मिल चुकी थी। अतः एक किवामके कार्योंको अनेक सदियोंके बाद दूसरे प्रायः तत्सामयिक ही अन्य क्रिवामके समझ लेना कोई बड़ी बात न थी । (देखें, ईलियट और डाउसन, ३, ३६०)। पृष्ठ १६, पद्यांक १८०. जबहि भयो बस कालकै फेरोसाह सुतलान । तव महमद महमूदनँ, फेरि जगुमें श्रान ॥ वास्तवमें फिरोज़शाहके उत्तराधिकारियोंकी परम्परा निम्नलिखित थी१. गियासुद्दीन तुग़लक द्वितीय सन् १३८८ २. अबूबक तुग़लक १३८९ ३. मुहम्मद तुग़लक ४. अलाउद्दीन सिकन्दर तुग़लक १३९४ ५. नासिरुद्दीन महमूद तुग़लक १३९४ ९. नसरत तुगलक १३९६ (५ का प्रतिपक्षी) ७. महमूद तुगलक १४०१ (पुनः स्थापित) १३९०
SR No.010643
Book TitleKyamkhanrasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1953
Total Pages187
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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