SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ निकाय की दृष्टि से यहाँ अभिधम्म-पिटक को खद्दक-निकाय में ही सम्मिलित कर दिया गया है, केवल पिटक के रूप में उसकी स्वतन्त्र सत्ता अवश्य स्वीकार की गई है। इसका अभिप्राय उपर्युक्त वर्गीकरणों को ध्यानपूर्वक देखने से विदित होगा कि उनमें खुदक-निकाय और अभिधम्म-पिटक को एक दूसरे में मिला दिया गया है। इसका अभिप्राय क्या है ? ऐतिहासिक दप्टि मे यह तथ्य बड़े महत्व का है। 'अभिधम्म' धम्म का, सत्त-पिटक का, परिशिष्ट है । 'अभिधम्म' में 'अभि' शब्द यही रहस्य लिय वैठा है, यह हम आगे देखेंगे। प्रथम चार निकायों के अतिरिक्त जो कुछ भी बद्ध-वचन है, वे इम विस्तत अर्थ में सभी अभिधम्म है, 'अतिरिकत' धम्म है। खुद्दक-निकाय के ग्रन्थ इसी प्रकार के अतिरिक्त धम्म है । अतः उन्हें 'अभिधम्म' के माथ उपर्युक्त अर्थ में मिला दिया गया है। इस तथ्य से खुद्दक-निकाय के ग्रन्थों के संकलन-काल पर भी पर्याप्त प्रकाश पड़ता है। सिंहल, बरमा और स्याम में खुदक-निकाय की ग्रन्थ-संस्था के विषय में विभिन्न मत सिंहलदेशीय परम्परा खुद्दक-निकाय के अन्तर्गत १५ ग्रन्थों को (जो निद्देस को दो ग्रन्थ मान कर १६ हो जाते है) मानती है। बरमा में इनके अतिरिक्त चार अन्य ग्रन्थ भी खुद्दक-निकाय में सम्मिलित माने जाते हैं। इनके नाम हैं, मिलिन्द-पञ्ह, सुत्न-संगह, पेटकोपदेस और नेत्ति या नेत्ति-पकरण । सिंहली परम्परा इन्हें खुद्दक-निकाय के अन्तर्गत स्वीकार नहीं करती। १८९४ ई० में पाठादयो च पुब्बे निदस्सितपंचदसभेदा, ठापेत्वा चत्तारो निकाये अवसेसं बुद्ध-वचनं ति । सुमंगलविलासिनी, भाग प्रथम, पृष्ठ २३ (पालि-टै० सो०); मिलाइये अट्ठसालिनी, पृष्ठ २८ (पालि० टै० सो०); गन्धवंस, पृष्ठ ५७ (जर्नल ऑव पालि टैक्सट सोसायटी, १८८६) १. अयं अभिधम्मो पिटकतो अभिधम्मपिटकं, निकायतो खुद्दक-निकायो । ___ अट्ठसालिनी की निदान-कथा। २. मेबिल बोड : पालि लिटरेचर ऑव बरमा, पृष्ठ ४
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy