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________________ ( १९८ ) उपर्युक्त सूची से स्पष्ट है कि चरियापिटक, अपदान, बुद्धवंस और खुद्दकपाठ, ये चार ग्रन्थ खुद्दक-निकाय के ग्रन्थों के रूप में दीघ-भाणक भिक्षुओं को मान्य नहीं थे। वास्तव में खुदक-निकाय को मुत्त-पिटक के अन्तर्गत न मानना दीघ-भाणक भिक्षुओं का इतना साहमिक कृत्य नहीं था जितना वह हमें आज लगता है। प्रथम संगीति के अवसर पर ही हम आर्य महाकाश्यप को आनन्द से पूछते हुए देखते हैं “सुत्त-पिटक में चार मंगीतियाँ (संग्रह) हैं। इनमें से पहले किसका संगायन करना होगा ?"१ इससे स्पष्ट है कि पहले सुत्त-पिटक को चार भागों में ही विभाजित कग्ने की प्रणाली थी। बाद में स्वतन्त्र ग्रन्थों का एक अलग संग्रह कर दिया गया, जिसकी न तो ग्रन्थ-संख्या का ही ठीक निश्चय हो सका और न जिसे निश्चयपूर्वक मुत्त-पिटक या अभिधम्म-पिटक में ही रक्खा जा सका। खट्टक-निकाय के अनिश्चित स्वरूप का यही कारण है। अभिधम्म-पिटक खुद्दक-निकाय के अन्तर्गत भी किन्तु इस अनिश्चितता का यहीं अन्त नहीं है। समग्र बुद्ध-वचनों का जब पाँच निकायों में वर्गीकरण किया जाता है, तो वहाँ भी खुद्दक-निकाय पाँचवाँ भाग है। किन्तु वहाँ इमका विषय-क्षेत्र बहुत विस्तृत है। दीघ, मज्झिम, संयुत्त और अंगनर निकायों को छोड़कर बाकी सभी बुद्ध-वचन जिनमें पूरे विनय और अभिधम्म पिटक भी सम्मिलित हैं, वहाँ खुद्दक-निकाय के ही अन्तर्गत समझे जाते हैं। खुद्दक-निकाय के इस विस्तृत विषय-क्षेत्र के सम्बन्ध में 'सुमंगलविलासिनी' की निदान-कथा में कहा गया है “क्या है खुद्दक-निकाय ? सम्पूर्ण विनय-पिटक, सम्पूर्ण अभिधम्म-पिटक, खुद्दक-पाठ आदि १५ ग्रन्थ , सारांश यह कि चार निकायों को छोड़कर बाकी सभी बुद्ध-वचन खुद्दक-निकाय हैं।"३ गन्थो' नाम अयं ति च वत्वा अभिधम्मपिटकस्मिं येव संगहं आरोयिसूति दोघभाणका वदन्ति । असालिनी की निदान-कथा। १. सुत्तन्त-पिटके चतस्सो संगीतियो, तासु पठमं कतरं संगीतिन्ति । अट्ठसालिनी की निदान-कथा। २. कतमो खुटुक-निकायो ? सकलं विनय-पिटकं अभिधम्म-पिटकं खुदक- .
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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