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________________ में प्रकाशित होने जा रहा है। इसमें गद्य पद्य का सहज-सुन्दर पद विन्यास और श्लेष-विरोधाभास आदि काव्योचित विशेषताओं का समावेश है। रामचरित होने से परमार्थाकलन का भी संपुट है। कालक्रमानुसार, संस्कृत कालेज, जयपुर में ज्योतिषाध्यापक की मांग हुई और राज्य ने आपको उस पद पर नियुक्त किया। अध्यापन कार्य करते हुए, बाकी समय में आप नवीन विषयों का अन्वेषण किया करते थे। आपको युक्लिद की ज्यामेट्री (रेखा गणित) हिन्दी अक्षरों की, पर उर्दू भाषा में पढाने को मिली जो उस समय के ऐग्लो-वर्नाक्युलर स्कूलों के लिए बाबू आत्माराम बी० ए०, जैसे उद्भट उर्दू दा लोगों द्वारा अनुवादित थी, क्योंकि संस्कृत में कोई पुस्तक न थी। छात्र लोग उसीके पारिभाषिक शब्दों और शकलों को घोटा करते थे। इस कठोर यातना से पीछा छुडाने के लिए आपने जयपुर नगर के निर्माता महाराज जयसिंह के राज्य ज्योतिषी जान्नाथ सम्राट् (१७७४ ई०) का बनाया १५ अध्यायों का जो भीमकाय एवं त्रुटित संस्कृत मे लिखा हुआ 'रेखा गणित' पड़ा था उसमे से प्रयोजनीय भागों को योरस के हंदर आदि की पुस्तकों से मिलान करके आदि के ६ अध्यायों को दो भागों में, उत्तम संस्कृत के छोटे वाक्यों में उपपत्ति तथा क्षेत्रों के साथ लिखा और उसका नाम 'क्षेत्रमिति' रक्खा। ___ जयपुर के तत्कालीन शिक्षाविभागाध्यक्ष बाबू कालीपद बनर्जी ने इसको कलकत्ते में प्रकाशित करके पाठ्य मे नियुक्त किया। बाद मे इस क्षेत्रमिति को काशी, बिहार और बंगाल की सरकारी शिक्षा संस्थाओं ने भी स्वीकृत किया और वह आज भी पाठ्यग्रन्थ है। कुछ ही समय बाद आप उक्त संस्कृत कालेज में ज्योतिष शास्त्र के प्रधानाध्यापक नियुक्त हुए और आचार्योचित शिक्षा देकर कई छात्रों को सफल किया। भारत के विभिन्न प्रान्तों मे आपके शिष्य शिक्षा क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। इसी प्रसंग में आचार्यश्रेणि में पाठ्य 'जैमिनि सूत्र' को सुन्दर श्लोकबद्ध अनेक संस्कृत छन्दों में निर्माण कर 'जैमिनि पद्यामृत' नाम से प्रसिद्ध किया। इसमें जैमिनि मुनि के दुर्योध, जटिल और अव्यवस्थित सूत्रों की व्यवस्था करके रूढिवादी वृद्धफारिकाओं की संगति लगा कर उनका सोदाहरण स्पष्टीकरण किया गया।
SR No.010620
Book TitleDurgapushpanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay, Gangadhar Dvivedi
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1957
Total Pages201
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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