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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org - ५९७ ] लेखांक ५९४ - हरिवंश पुराण - रहधू १३. काष्ठासंघ - माथुर गच्छ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कमलकिन्ति उत्तम खमधारउ भव्वहि भवअंबोणिहितारउ । तस्स पट्टकणयद्दिपरिडिङ सिरिसुद्द चंदु सुतवउक्कंठिउ | लेखांक ५९६ - अमरसेनचरित- माणिक्यराज लेखांक ५९५ - दशलक्षण यंत्र सं. १६३९ वैशाख वदि ८ चंद्रवासरे श्रीकाष्ठासंघे माथुरगच्छे पुष्करगणे भ. श्रीकमलकीर्तिदेवाः तत्पट्टे भ. श्री शुभचंद्रदेवाः तत्पट्टे भ. यश:सेनदेवाः तदानये पद्मावतीपुरवालान्वये साव होरगू ॥ [ फतेहपुर, अ. ११ पृ. ४०८ ] पद्मनंदी [ अ. ११ पृ. २६८ ] यशः सेन सिरि मात्तिपट्टहि पवीणु सिरिहेमकित्ति जि हयउ वामु | तहु पट्ट वि कुमरविसेण णामु तहु पट्टि णिविट्टि बुहपहाणु सिरिहेमचंदु मयतिमिरभाणु । तं पट्टि धुरंधरु वयपवीणु वर पोमणंदि जो तवह खीणु । तं पण णिगुरु सीलखाणि २२९ • " विकमरायहु ववगइ कालइ लेसु मुणीस वि सर अंकालइ । धरणि अंक सहु चइत विमासे सणवारे सुयपंचमिदिवसे ॥ For Private And Personal Use Only ( अ. १० पु. १६१ ) यशःकीर्ति लेखांक ५९७ - शिलालेख विक्रमादित्य संवत १५७२ वर्षे वेशाख सुदी ५ वार सोमे भ. श्रीजशकीर्ति राजश्रीकला भार्यां सौनबाई विजयी राज इर्दा धूलेव ग्रामं प्रति श्री ऋषभनाथ प्रणम्य - श्रीकाष्ठासंघे बाजा न्यात काश्यपगोत्र राकडिया हिसा मंडप नव चूकीय. " || [ केशरियाजी, वीर २ पृ. ४५९ ]
SR No.010616
Book TitleBhattarak Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV P Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1958
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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