SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४ मेरे दिवंगत मित्रो के कुछ पत्र मिस्टर शाह अव आ गये होंगे-फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तक प्रथम अक' आपके प्रयत्न से अवश्य प्रकट हो जायगा। ५०० पहला अक छपना चाहिये । १५० पृष्ठो का ही कागज पसन्द है-कवर का कागज कैसा होगा-कुछ नमूना भेजता हूँ। प्रथम अंक के लिये श्री महावीर भगवान के निर्वाण भूमि श्री पावापुर का रंगीन चित्र तैयार कराया है आपके देखने के लिये भेजता हूँ। -पसन्द आएगा-इसको स्वीकृत कर लौटा दे--५०० कापी छपवा कर सेवा मे भिजवा दूगा-आपने कहा था कि श्री महावीर प्रभु के निर्वाण सम्वत विपय मे एक गवेपणा पूर्ण लेख तैयार है उसको भी इसी/ प्रथम अक मे ही प्रकाशित कर दें। सर भंडारकर द्वारा अवश्य एक मँगला चरण लिखवाने का पूरापूरा प्रयत्न करें-चाहे दस पाच ही पक्ति क्यो न हो। लेखो की तालिका बनाना चाहिये। प्रथम अक मे आप कैसा कैसा लेख चाहते है-किन किन विद्वानो को प्रथम अक मे देना आवश्यक है। आदि लिखे । उसी प्रकार के पत्र व्यवहार का प्रयत्न करूँगा । आवेदन पत्र का नाम अग्नेजी भापा मे लिखकर छपवा दूगाऔर सव कुशल मंगल है। आपका सेवक जैन धर्म की जय देवेन्द्र प्रसाद जैन पत्रांक ३ The Central Jain Publishing House ARRAH 16-12-19 श्री पूज्य स्वामी श्रद्धेय श्री मन् मोहान्ध मार्तण्ड महात्मन् ____ आपके अमृत पूर्ण सारवान वाक्यो से परिपूर्ण 'आवेदन-पत्र' निसन्देह मेरे मानस तल मे दिव्य ज्ञान की जागृन्त ज्योति का ज्वलंत
SR No.010613
Book TitleMere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherSarvoday Sadhnashram Chittorgadh
Publication Year1972
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy