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________________ मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र ७. अनेकान्तवाद जय पताका ठि० श्री यशोविजय जैन ग्रथमाला । ८. पुरुषार्थ सिद्ध्युपाय । ६. ज्ञानार्णव द्रव्यानुयोग तर्कणा । १०. पंचास्तिकाय, समयसार ठि० मेघजी हीरजी । ११. संदेह दोलावली ठि० प० हसराज हीरालाल जामनगर । १२. माधवी नवतत्त्व सटिक । १३. जीव विचार प्राकृत या भाषा । १४. तिलक मंजरी ठि० यशोविजय जैन ग्रन्थमाला भावनगर । १५. श्रीपाल चरित्र । १६. महावीर चरित्र । १७. यशोधर चरित्र । १८. श्रेणिक चरित्र । १६. तेजपाल वस्तुपाल चरित्र ठि० पं० हसराज हीरालाल, जामनगर । २०. कुमारपाल चरित्र ठि० मेघजी हीरजी। २१. जैन रामायण ठि० भीमसिंह माणक । २२. हरिविक्रम चरित्र ठि० पं० हसराज हीरालाल जामनगर। २३. श्री गणधर महाराज के प्रश्न उत्तर। ६ कर्म ग्रन्थ भी देखने की खास आवश्यकता है या कर्म पयड़ी ग्रन्थ देखें ठि० मेघजी हीरजी। जाका सवा में, (१०) न० ६ न्यु क्वीन्स रोड बम्बई ता० २७-७-२० श्रीमान महाराज जी श्री जिनविजय जी की सेवा मे, पूणे से आकर आपकी कृपा याद ही है। बाबू पूरणचंद जी नहार यहाँ पर आये थे और इनके पास अपने कार्य में चदा १०००) और 'एतिहासिक सशोधक' मे चंदा १००) भर पाया है, वह रकम शीघ्रता से भेजी जायगी। इन भाई साहब को इस बात से परिचय करवाया है और वहाँ भेजा है। आपकी इनसे अच्छी तरह से वात चीत हुई होगी। फड सम्बन्धी कार्य के लिये लाल भाई के साथ दो-तीन बार विचारा गया था। किन्तु आजकल धंधे का मामला वारीक से बारीक हो रहा है । जिससे फारग हो नही सकता।
SR No.010613
Book TitleMere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherSarvoday Sadhnashram Chittorgadh
Publication Year1972
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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