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________________ स्व. श्री ताराचन्द राय के कुछ पत्र (४) प्रिय मुनिजी, Rome. 26-8-30 . आपको मेरा पिछला कार्ड तो अवश्य मिल गया होगा, अव आप पिछला पूरा वृत्तान्त लिखिए। मैं श्राज छुट्टियों के दिनों में दूसरे देशों से होता हुआ रोम पहुँचा हूँ। और यहाँ के नजारे देख रहा हूँ । एक समय वह था कि सारा जगत रोम के सामने दम न मार सकता था । मुसोलिनी का रोव तो बड़ा है पर देश में वह पुरानी शान शौकत नहीं दिखाई देती ! जर्मनी का मुकाबला इटली नहीं कर सकती । नाथुराम प्रेमी जी को मैं जल्दी उत्तर दूंगा। इस वर्ष मुझे ईश्वर की कृपा से महात्मा जी पर व्याख्यान देने के लिये कई युनिवर्सिटियो और सभाओं से निमंत्रण आये हैं । (५) भवदीय ताराचन्द राय १६५ Berlin-Wilmessdorf Hohen Zollerndamm 35 Dated 6-10-30 प्रिय पडित सुखलालजी, कृपया यह पत्र मुनिजी को भेज दीजिए। यदि आप मुझे हिन्दुस्तान के सत्याग्रह युद्ध तथा असहयोग एवं महिलाओं और युवकों की उन्नति प्रदर्शक तस्वीरें भेज सकें तो अवश्य रवाना कीजिए। मैं यहाँ magic lantern slides बनवाकर इन्हें व्याख्यानों मे इस्तेमाल करना चाहता हूँ । जो कुछ लागत आएगी में बडी खुशी से दिया करूंगा । आप मुझे सव प्रकार के चित्र बराबर भेजते रहिएगा। बड़ी कृपा होगी । दाम प्रत्येक बार साथ लिख दिया कीजिए । मैं आपका पत्र आते ही दाम रवाना कर दिया करुगा। यहां एक Publisher ने मुझे भारत वर्ष पर एक पुस्तक लिखने के लिये कहा है । क्या आप इस ।
SR No.010613
Book TitleMere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherSarvoday Sadhnashram Chittorgadh
Publication Year1972
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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