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________________ १६४ मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र बिल्कुल तन्दुरुस्त कर देने और कारावास के फंदे से निकाल कर स्वाधीन देश भक्तों के गोल के जुलूस में फिर मिला दें। मेरे हृदय में तो आप सदैव बसते है सब हिन्दी भाई आपको वन्दे मातरम् कह भेजते हैं। मैं इस हफ्ते कोलोन जा रहा हूँ वहां के रेडियो वालों ने तीन व्याख्यानो के लिये बुलाया है। आप अपना वृतान्त यथा शक्ति भेजते रहना। भवदीय ताराचन्द राय Berlin, Wilmess Dorf Hohenzollern Damm 161 B. 3 V ताः २३-७-३० Berlin, wilmessdorf Hohenzollern Damm 161 B.3 V प्रिय मुनि जी आपकी ओर सदैव ध्यान रहता है। मित्रों से आपही के विषय में बातचीत होती है । आपका क्या हाल है। आप कहां है ? क्या आपको पत्र पहुँचते रहते हैं ? रवीन्द्रनाथ ठाकुर आजकल फिर जर्मनी में हैं । विश्व विद्यालयो मे अंग्रेजी भाषा में व्याख्यान देंगे। बलिन मे तथा म्युनिक में बोल चुके हैं। अभी फ्रान्क फोर्ट और मारबुर्ग में बोलेंगे । विश्व विद्यालयों में अनुवाद की आवश्यकता नही है। इस कारण में उनके साथ नहीं गया। मैंने "Hamburger Fremdenblatt" उनके views पर एक लेख लिखा है। यदि आप पढना चाहे तो भेज दूं आप पहले यह लिखें कि पत्र आपको पहुँचते हैं या नही । भवदीय ताराचन्द राय
SR No.010613
Book TitleMere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherSarvoday Sadhnashram Chittorgadh
Publication Year1972
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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