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________________ मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र योग्य सदा लिखे । कृपा बनी रखें। श्रीमान् पृथ्वीसिंह शीघ्र ही लौटेगे । चि. बहू का स्वास्थ्य ठीक नहीं है । इलाज की व्यवस्था हुई है। निरामय होने से चिन्ता मिटेगी। भाई सिंघीजी सा. कुशल मे है और सब लोगो से यथा योग्य निवेदन करें। ज्यादा शुभ सं. १९८८ का मि. भाद्रपद शु. ८ पूरणचंद नाहर की सविनय वंदना अवधारिएगा (३५) Calcutta सं. १९८८ भादोसुदि १३ श्रद्धेय श्रीमान् जिनविजयजी महोदय की सादर सेवा मे-- सविनय नमस्कारान्तर निवेदन है कि कृपापत्र प्राप्तकर अनुग्रहीत हुआ। आज्ञानुसार गीघ्र ही अकारादि की सूची तैयार होने पर प्रेस मे देदेगे । और आपके रवानगी के पेश्तर ही आशा है कि एक प्रूफ अवलोकनार्थ सेवा में भेजेंगे । मेरा विचार एक बार जो वहाँ जाने का था सो अव इधर होना कठिन है। छुट्टियो के बाद जब आप लौटेंगे उस समय हाजिर होने की इच्छा रही आप जो हेमचन्द्राचार्य को जीवनी वाली किताव के लिये कह गये थे सो हमे स्मरण है । हमने लाहोर मे पंजाव संस्कृत बुक डिपो और पूना मे डाक्टर सार देसाई को पत्र भेजा है । कही से मिल गई तो फोरन सेवा मे भेजेंगे । यहाँ सोसायटी की किताव बाहर से मिली नहीं है और इंपीरियल लाइब्रेरी मे कुल दो सप्ताह के लिये मिलती है। इससे आपका कार्य नहीं होगा। आप शीघ्र ही अहमदावाद जारहे है। वहाँ किसी स्थान में मिल जायगा । और योग्य सेवा लिखें । कृपा बनी रखें ज्यादा शुभ स. १९८८ का मिति भादोसुदि १३ । पूरणचन्द नाहर की सविनय वंदना
SR No.010613
Book TitleMere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherSarvoday Sadhnashram Chittorgadh
Publication Year1972
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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