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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात... [ १ १६ कीरत सिंघ, रावळ वास । संमत १६७४ ननेउ दी थी । संमत १६७७ जाळोररो प्रोडवाड़ो, जोगाउ दी थी । संमत १६८० लीनी' । १६ गोपाळदास । २० जगनाथ । संमत १६७६ भांगल गांव ४ दिया । संमत १६६६ छाडियो । १७. विजेराव लूणकरणरो" । १८ जसवंत । २० तेजमाल । १६ मोहणदास । २० भारमल । १६ वाघ । २० दुरगो । १६ करमचंद | १६ वीरदास । यांक १७- रावळ मालदे लूंणकरणरो । लूंणकरण पर्छ जेसळमेर पाट बैठो | वरस १० मास ७ दिन २० राज कियो । रावळ मालदे राहुधš रावतरै परणियो थो, नांव रांणीबाई । तठा पछै रावळ मालदे वेगो हीज मुंवों । - कीरतसिंह, जोधपुर महाराजका चाकर । सम्वत् १६७४ में नेनेऊ गांव दिया था श्रोर सम्वत् १६७७ में जालोर परगनेके प्रोडवाड़ा और जोगाऊ गांव दिये गये थे, लेकिन ' सम्वत् १६८० में वापिस ले लिये । 2 जगन्नाथने सम्वत् १६६६ में (जैसलमेर) छोड़ा और सम्वत् १६७९में भागलने इसे चार गांव दिये ( वि० एक प्रतिमें भारगल के स्थान भोपाल लिखा है | ) 3 विजयराव लूणकरणका बेटा । 4 रावल मालदेव लुगाकराका बेटा । कररणके बाद जैसलमेरकी गद्दी पर बैठा । इसने १० वर्ष, ७ मास श्रीर २० दिन राज्य किया । रावल मालदेवने राड़धरेके रावत के यहां विवाह किया था, जिसका नाम राणीबाई था। इस विवाह के बाद रावल मालदे जल्दी ही मर गया था ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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