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________________ मुंहता नैणसीरी १८ रासो । १६ दुरगो । १६ नरसिंघदास, राव बीकाजी १७ पुनसी । १८ वरजांग | १६ तिलोकसी । २० कांन्ह | १६ जैसिंघदे, ईडरचीरो बेटो । पछै इणानूं परो काढियो, तरै ईडरगयो । तिरै वांसला ईडर छै' । १७ मालो । बेटा : --- दोहीतो' । [ ८ १८ पूंजो, राव कल्याणमल सुरतांण गढिया ऊपर यो तद कांम आयो । ख्यातः १६ सुंदर १६ राघोदास | १९ प्रथीराज, गढिया ऊपर यो तद कांम आयो । १६ भगवान । १६ राघो - दास । १९ मोहण । १६ राम, राव वीकैजीरो दोहीतरो' । १६ तिलोकसी, राव वीकैजीरो दोहोतरो । आांक १६ - रावळ लूंणकरण जैतसीरो । जैतसी पर्छ टीकै बैठो । वरस २२ मास १० दिन ३ राज जेसलमेर कियो' । १७ रावळ मालदे । १७ दुजणसल । १८ वाघ, वडो ठाकुर पातसाही चाकर हुवो । संमत १६५५ जोधपुर वसियो, गांव १० सूं साझतरो प्राउवो दियो यो । पछे छोड़ने पातसाहरै वसियो । 1 रावल जैतसीका वेटा नरसिंहदास, राव बीकाजी का दोहिता था । 2 ईडरची ( रानी) का बेटा जयसिंहदे, जिसको जैसलमेर से ) निकाल दिया था, तब वह ईडर चला गया था । इसके वंशज ईडर में हैं । 3 राव कल्याणमल और सुरताण गढिया पर चढ कर के गये, वहां पूंजा काम आया । 4 पृथ्वीराज गढिया पर चढ कर गया तब काम आया । ऽ राम राव बीकाजीका दोहिता । 6 तिलोकसी राव बीकाजी का दोहिता । 7 रावल लूणकरण जैतसीका बेटा, जैतसीके वाद गद्दी बैठा । इसने २२ वर्ष, १० मास और ३ दिन जैसलमेरका राज्य किया । 8 रावल लूणकरण के बेटोंका (वंशका ) विवरण 1 9 दुर्जनसालका बेटा बाघ, यह बादशाही चाकर बड़ा ठाकुर हुआ । सम्वत् १६५५में जोधपुर ग्राकर बसा, जहां उसे सोजत परगने के १० गांवोंके साथ भाउवा जागीर में दिया गया था और फिर छोड़ कर बादशाह के पास जाकर रहा ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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