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________________ ७४ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात डेल्है जसहड़ आसकरणरै बेटै कह्यो-'गढ इणां आग म्है राखसां, थे .... म्हांसूं पछै भली करजो, म्हे वीनती करां सु मांनजो' ।” पछै विमळादे वाँह दीवो' । पछै डेल्हो आपरो साथ ले अादमी ५०० लेने गढरी प्रोळ प्राडो बैठो। विमळादे कांगरांसू आदमी उतारनै केहरन तेड़ायो । केहर आयो। केहरनूं टीको हुवो । गढरी प्रोळ खोली । भाटिये सारै आय केहर देवराजोतनूं जुहार कियो । हरांमखोर नास गयो । पछै डेल्है आसकरणोतनूं विमळादे केहरनूं कहिनै चांधणो जेसळमे रसू कोस १२ पोकरणरै मारग दिसा पटै दिरायो । रावळ घड़सी रतनसीयोतरै साथै विखा मांहै इतरा रजपूत था - १ जैतुंग महिपो कोल्हावत' । १ जसहड़ डेल्हो आसकरणोत' । १ जैचंद लूंणग ऊदळोत' । २ बारहठ आसराव रतनूं , अासराव तीहणरावरो । तीहणराव, जोगी, देदो, बूजो, रतनरा। चिराई अासरावरो, बाप वेटो २॥ गीत रावळ घड़सीरो। घणा दोह लग14 ताहरो नाम रहसी16 घणो, घणा जूझार जु वाहै घाह' । आप प्रांण दिल्ली ऊबेळी; पूरवरो भागो पतसाह ॥१ I इसके आगे गढ़की रक्षा हम करेंगे । आप हमारे साथ भला वर्ताव करना और हम विनती करें उसे स्वीकार करना। 2 विमलादेने वचन दिया। 3 तव डेल्हा अपने साथियोंके साथ ५०० आदमियोंको लेकर गढ़की पौलके आड़ा बैठ गया। 4 विमलादेने गढ़के कंगूरोंसे आदमीको नीचे उतार कर केहरको बुलवा लिया। 5 देवराजके पुत्र केहरको सभी भाटियोंने आ करके जुहार किया। 6 हरामखोर तेजसी भाग गया। 7 फिर विमलादेने केहरको कह करके चांधणा नांव, जो जैसलमेरसे १२ कोस पर पोकरणके मार्गकी ओर है, आसकरणके बेटे डेल्हेको जागीरमें दिलवाया। 8 रावल घड़सी रतनसीप्रोतके साथ, उसके संकटकालमें इतने राजपूत थे। 9 कोल्हाका बेटा जैतुंग महिपा। 10 आसकरणका वेटा जसहड़ डेल्हा। II जयचंद और लूगग ऊदलके वेटे। 12 तिहुणरावका बेटा बारहठ . आसराव रतनू । तिहुणराव, जोगी, देदो और बूजो ये रतनके बेटे और चिराई बासरावका . वेटा। वाप-वेटा ये दोनों माथ थे। 13 दिन। 14 तक। 15 तेरा। 16 रहेगा। 17 तेने अनेक जूझारोंके ऊपर प्रहार किया है। 18 अपने प्राणोंको हथेलीमें लेकर तूने .. दिल्लीकी सहायता की।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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