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________________ ६६ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात २ पूनो, राव रिणमल चंग वेढ हुई तठे काम आयो । ३ दुरजणसल । ३ जैतो। ३ खेतो। ३ चाचो । ४ रायमल तिणरो करायो रायमलवाळो तळाव । २ वणवीर रांणारो चाकर थो। राव जोध मंडोवर लियो तद कांम प्रायो। ३ भाटी जैतो पूनावत । तिणरो परवार जोधपुर चाकर, प्रांक ३ ४ भांडो। ८ तेजसी। ५ वनो। ६ रांमो। ६ रायसल । ६ भैरव । १० मांनो । १० करन । ६ नांदण । ६ तेजो। ६ जेसो। ६ सूजो । ६ सांईंदास । ७ भारमल । ६ पीथो। ८ हाथी। ८ पिराग । ६ नरसिंघ । ६ करमचंद । ६ पंचाइण । ६ मोटो। ८ कलो। . वात रावळ घड़सी राणा रतनसीरो बेटो । मूळराज, रतनसी साको कर मुंवा तद कमालदीनूं आपरो बीज उबारणवू घड़सी, ऊनड़, कां-... .. नड़ आपरा छोरू नै एक देवड़ो भाणेज कमालदीनूं सूपिया था । कमालदो नै मूळराज इण विखा माहै भाएला हुवा था ; पाघड़ी पलटी हुती । सु कमालदी नै कमालदीरी बैर' इणां° छांना राखे । I चंग गांवमें राव रिड़मलके साथ हुई लड़ाईमें पूना मारा. गया। 2 रायमल .. जिसका बनवाया हुआ रायमल वाला तालाव' है । 3 बनवीर, राणाजीका चाकर, राव जोधाने मंडोर पर अधिकार किया तव काम आया। 4 पूनाका पुत्र भाटी जैता जिसका परिवार जोधपुरमें चाकर है । 5 मूलराज और रतनसी दोनों साका. (क्षत्रियोचित कीर्ति-कार्य) करके मर गये। 6 उस समय रतनसीने अपनी वंश-रक्षाके लिये घड़सी, ऊनड़ और कानड़, अपने तीन लड़कोंको और चौथा अपना एक देवड़ा भानजा, इन चारोंको कमालुद्दोनके सुपुर्द कर दिया । 7 कमालुद्दीन और मूलराज दोनों इस संकटमें (युद्ध में) पधड़ी-बदल भाई . . (धर्म भाई) हो गये थे। 8 प्रार। 9 स्त्री । 10 इनको। II गुप्त । ::
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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