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________________ ४८ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात रियांरी ओट जूंझार जाय लागा छै गढनूं, नै मरहठो कपूरो साथरी मदत करै छै; नै मिलक केसर, रामसा, सराजदीन प्रोळरी अणी मांहै छै । हाथी १५ किंवाड़ भांजणनूं आग किया छै । नै मूळराज प्रोळरी हाटां मांहै जीनसाळ पैहर माणस हजार दोयसू रह्यो छै । न तुरक नीसरणियां चढिया छ । नै मूळराज साथसूं ताकीद करै छ जु-"जरैही ।। भेर व्है, तरै सको लोह करज्यो । सु तुरकै कांगुरांनूं हाथ घातियो नै नजीक आया तर भेर हुई । तरै कांगुरांसू मतवाळां डांगरजंत्र* छोड़िया, सु घणा आदमी मारिया। नै प्रोळरै मुंहडै मूळराज हाटां मांहिंसूं. ऊठियो लोहै मिळियो । नै किंवाड़ नांख नै रतनसी पण लोहै मिळियो। उठे मिलक केसर सराजदीन, रांमसा बीजाही घणा सिरदार मारिया, घणो साथ काम आयो । आदमी हजार सित्तर मारांणा । हाथी १५ .. मारिया । कपूरो मरहठो भागो । वीजी ही पातसाही फोज भागी। दूहा-केसर मिलक सराजदी, बे मूळ हत्थाह । जांण कंदोई ऊथळे, खाजो मंझ कड़ाह ।।१ भाणेजो पतसाहरो, जामादो° पतसाह। मुणसज खाधो मूळरज, सवळे ऊभी वांह ॥२ ... रांमसाह हर रतनसी, खांचिय पांणो वाण । सिर धड़ सहितो संग्रहै, लीधो जोर विनांण ॥३ सित्तर सहँस निकंदिया, कोट भयंकर काळ। वंधव सेन विछोड़िया, के कूटत कपाळ ॥४ कांही सेवग सांभरै, के संभारै सांम । हूंकळ भेरी मूळ रज, जीतो गढरो काम ॥५ पनरै पट-हसती पड़े, सतर हजार कमंध । कप्पूरौ नै मरहटो, वे भागा अनमंध ॥६ ___ और मलिक केसर, रामशाह और सराजुद्दीन ठीक पोलके सम्मुख आ गये हैं। ... 2 बोर मूलराज पोनकी शालोंमें दो हजार सैनिकोंके साथ कवच पहिन कर तैयार हो रहा है। 3 जिस समय भेरी बजे तब सभी एक साथ प्रहार कर देना। 4 एक प्रकारको तोप । और भी। 6 दूसरी भी। 7 दोनों। 8 हाथोंसे। 9 हलवाई जिस प्रकार कड़ाही में वाजा उलट रहा हो। 10 दामाद । II नाश किया।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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