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________________ ४२ ] ___ मुंहता नैणसीरी ख्यात नींबो माणस ४०.०सं जाळोर आयो। पछै कितरेहेक दिनै राजड़ियै सूरमालणरै बेटै घात घाली । पछै नींवा चूक कर मारियो । नींवो मरतो राजड़िया ले मुंबो । ने पंजूपायक छोड नै पातसाहरै गयो । वात राठौड़ सीमालरी सीमाळ पैहली कांनड़देजी तीरै रहतो । पछै कानड़देजी जाळोर ऊपर घर कराया, तिकै देखण सीमाळ नूं मेलियो ने सूरमालगनूं साथै मेलियो, सु सोमाळ मेहलायत देख क्यूं तमें खोड़ काढी । तरै सूर कह्यो-"तूं कानड़देजीतूं ही घणो समझै ?" यूं करतां माहोमांही बोलाचाली हुई । तरै सीमाळ सूरनूं लोह वाह्यो, सु चूको । सूर लोह वाह्यो सु सीमाळ काम आयो । पछै रावळ लखणसेन कानड़देरी वेटी वांसे मेल आप प्रागै जेसळमेर गयो हुँतो, नै सूरमालण कानड़दे वेटी साथै मेलियो थो सु नींवो मंडळ परै तळाव झूलतो थो, सु क्यूं सवण' बोलियो। तरै नींवै सवणीनूं पूछियो, तरै सवणी कह्यो-"यो सवण यूं कहै छै"जांम° ४ अटै रहसी तो वापरो मारणहार हाथ आवसी, नै एक पदमणी सारीखी बैर हाथ अावसी'।" तरै नींवो उठ रह्यो । अतरै सोनगरी सेझवाळो नै साथै सूरमालण आयो। तर अठै नींवै सूरमालणनूं साथ सूधो मारनै कानड़देरी बेटी ले गयो। ६ रावळ पुनपाळ लखणसेनरो। एक वार, लखणसेन काळ कियो। इणरै माथै टीको नीसरियो'। वरस २मां दिन ५ हुवा तरै जैतसी तेजरावरो वेटो, चाचगदेरो पोतरै गढ लियो । टीको कढायो । पुनपाळनूं पूंगळ दे नै उठीनूं परो मेलियो। . ___I पीछे कितनेक दिनोंके वाद सूरमालनका बेटा राजड़िया उसे मारनेकी ताकमें रहता रहा । 2 फिर नींवैको धोखेसे मार दिया। 3 नींवा भी मरता हुआ. राजड़ियाको ले मरा। 4 पास 1 5 सीमालने महलोंको देख कर मापमें कुछ कसर निकाल दी। 6 सो टल गया। 7 स्नान कर रहा था। 8 शकुन । 9 शकुनी। 10 प्रहर । II और एक पद्मिनीके समान स्त्री हाथ आयेगी। 12 इतनेमें। 13 लखनसेनकी मृत्यु हुई तब एक बार तो इसके सिर पर ही तिलक निकला | 14 दो वर्ष और पांच दिन हुए तब चाचगदेके पोते, तेजराव के बेटे जैतसीने गढ़ ले लिया। 15 पुण्यपालको पूगल प्रदेश दे कर उधर भेज दिया।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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