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________________ २८ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात तरै पंवारै कह्यो-“म्हे देवराजसू डरां ।” तर अादमी फिर पाछा . आया । मास २ वीच पाड़िया । राजलोगनूं, रांणीनूं भली-भली वस्त मेलनै आपरै हाथ किया' । मास २ पछै रांगी साथै कहाव करायो । तरै राजा कह्यो-“यो खोटो आदमी छ, कोहेक दगो दै ।" तरै कह्यो"किसो अठै दगो देसी ? उणरा आदमियांनूं सूधो कहिस्यां, सो.. १०० आदमियांसू आवो । इधक आदमियांसू आवगा न दां।" तरै श्रा वात थापी । तरै देवराज कह्यो-" भली वात ।'' पिण आदमी पाछा मेलिया, कहाड़ियो-"म्हारै माथै वैर छै, हूं फलांणां' दिनरै साहा ऊपर आईस । घणो जताव राज किरणहीसूं मत करो । नै लुद्रवारी बारै प्रोळ छै, सु म्हे अवेरा-सवेरा किणही प्रोळि अावस्यां । सारी प्रोळिरा प्रोळियांनी हुकम कर राखो, म्हे जिण प्रोळि अावां, म्हां उण प्रोळि मांह असवार १०० एक वींदावण देज्यो।" इसड़ो दूवो कढायो,' नै आया सु प्रोळियां सारांनं पईसांसू पैहली भर . मारिया था । सारांनूं राजी कर राखिया था। पछै साहारै दिन बारैसो १२०० असवार जीनसाळिया करि ऊपर ढीला वागा पैहर केसरिया करने वारे वींदारै माथै मोड़ बांधनै बारै जांन15 करने एकण समचे बारां ही प्रोळि मांही पैठा। मांहै जाय पंवारांनूं कूटमार देवराज लुद्रवो लियो। आपरी प्रांण-दोण फेरी18 | वडी .. साहिबी जमी । पछ कितरेके दिनैं देवराज अरोड़रै तुरके सिकार रमतानूं मारियो । ___ I अपने वश किये। 2 यहां कौनसा दगा देगा। 3 उसके आदमियोंको स्पष्ट कह देंगे। 4 अधिक । 5 तब यह वात निश्चित हुई। 6 हमारे ऊपर शत्रुता रखने वाले हैं। 7 अमुक । 8 आप किसीको इस संबंधकी अधिक जानकारी नहीं होने दें। 9 मो हम बेरअबेर किसी समय किसी भी पोल से आयेंगे। 10 पोलके पहरेदार। II दूल्हा। 12 ऐसा हुक्म निकलवाया । 13 सबको पैसे देकर अपने वशमें कर लिये थे। 14 कवचधारी घुड़मवार | 15 वरात । 16 एक ही संकेतसे, एक ही साथ । 17 प्रवेश किया। 18 अपनी ... अान-दुहाई प्रवर्त की। 19 फिर कितनेक दिनोंके बाद अरोड़के मुसलमानोंने देवराजको शिकार खेलते हुएको मार डाला। :
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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