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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २०७ जेसो वडे घोडै १ चढनै चारणरै साथै हुवो। अहमंदावादरी वाड़ी एकण मांही पाय उतरियो । चारण वीरधवळनूं जेसै कह्यो-'तूं जायनै पातसाहनूं खबर दै ।" तरै जाय खबर दी। पातसाह वात सुण वोहत राजी हुवो। नकीब फेरनै सारो लसकर भेळो करायनै आप चढनै वाड़ी घेरी'। हाथाजोड़ी करी, नै कह्यो-“सको हुसियार . हूजो । जिण माहै हुय जेसो जासी तिणनूं हूं मारीस ।” चारण वीरधवळनूं पातसाह कह्यो-' तूं वोड़ी मांहै जायनै जेसानूं ले प्राव ।" तरै चारण वाड़ी मांहै गयो। आगे देखे तो सरवहियो जेसो भर नींद सूतो घोरावै छै । तिण वेळा चारण वीरधवळ दूहो कहै - 'नीधसता नीसांण, सुरण नहीं सुरताणरा । जेसा थयो अजांण, के फूटा कैवाटउत' ॥१' वात सरवहियो जेसो जागियो। ऊठनै अांख छांटी। घोडारा तंग लेनै घोड़े चढ़ियो । वाग बीच आय ऊभो रह्यो । चारण सारी वात जेसानूं कही । जसै सारी वात सुणी । पछै वीरधवळ पूछियो-“पातसाह किसो ? मोनूं ओळखाव' ।" तरै चारण वीरधवळ जेसानूं कह्यो"ओ हाथी चढियो पातसाह ऊभो ।” तर जेसै चारण कह्यो-"तूं पातसाह कनै जायन मोनूं दिखाव दे। कोई थारै माणस छुडावणरो साजीवंध कर ।" तरै चारण पातसाहनै प्रायनै कह्यो-"यो जेसो ___फिर जैसा एक बड़े घोड़े पर चढ़ कर चारणके साथ रवाना हो गया। 2 अहमदाबादकी एक बाड़ीमें पा कर ठहर गया। 3 नकीबको फिरा सारी सेनाको इकट्ठा करवा कर स्वयं उसके साथ चढ़ करके वाडीको घेर दिया। 4 हाथाजोड़ी की और कहा-'सभी होशियार रहना । जिसके पासमें हो कर जैसा निकल जायेगा उसको मैं मार दंगा।' 5 आगे जा कर देखता है कि सरवहिया जैसा भर नींदमें सोया हुआ खुर्राटे खींच रहा है। 6 उस समय चारण वीरधवल दोहा कहता है। 7 हे कैवाटके पुत्र जैसा सरवहिया ! वादशाही सेनाके वाजे बज रहे हैं, तू क्या सुन नहीं रहा है ? तेरे कान फूट गये हैं या तू अनजान हो गया है ? 8 वागके वीचमें याकर खड़ा रहा। 9 वादशाह कौनसा है ? मुझे उसकी . पहिचान करादे। 10 तब जैसाने चारणको कहा-'तू बादशाहके पास जा कर उसको दिखला कर मेरी पहिचान करवा दे और तेरे कुटुंबको छुड़वानेका प्रवन्ध पहिले करले।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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