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________________ [ १९७ मुंहता नैणसीरो ख्यात नाथू रूपसीरो, प्रांक २, तिणरा बेटा'। ३ राघो जेसळमेर छ । ३ रामो, सिवदास, रिणधीर जेसळमेर छै । ३ सिवदास नाथूरो। ४ जाळप सिवदासोत । कँवर रांम मालदेग्रोतरो चाकर । देसोटै रांम साथै गयो। ५ रायसिंघ जाळपोत । ६ गोपाळदास, राव जगनाथरै वास। ७ दयाळदास । ७ द्वारकादास । ६ मोहणदास । ४ नींबो सिवदासरो। ५ दूदो नींबावत। ६ सुरताण । ७ महेस । ६ कांन्ह दूदावत। ७ प्रथीराज । ७ देवीदास । ६ सादूळ दूदावत। ७ तेजसी। ६ भाखरसी दूदावत । ७ चांदो। ७ हरी । ७ स्यांमदास । ७ अचळो । भाटी पतो रूपसिप्रोत, प्रांक २३ हरदास पतावत । ४ नरबद, भांगेस र रा।। जेसो झूबियो तद काम आयो । ५ रांणो नरबदरो। [ संख्या २ पर, ऊपर अंकित नाथू रूपसिनोत, जिसके बेटों ( पोतों का) वर्णन । . 2 राघो जैसलमेर रहता है । 3 रामा, शिवदास और रणधीर तीनों जैसलमेरमें रहते हैं। 4 शिवदासका बेटा जालप, यह मालदेवके पुत्र कुंवर रामका चाकर। रामको जब देशनिकाला हुआ तब यह भी साथमें गया। 5 गोपालदास राव जगन्नाथके यहां नौकर। 6 गांव भांगेसरमें रा।। जैसाने लड़ाई की तब नरबद काम पाया।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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