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________________ १२६ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात ८ जगमाल, देहेरै-भाचाहर वसै'। __ राव केल्हण केहररो। पूगळ, विकूपुर, वैरसलपुर इणारी ठाकु-. राई। पीढी १ राव केल्हण केहररो। ४ राव सेखो वैरसलरो। २ राव चाचो केल्हणरो। ५ राव हरो सेखारो। ३ राव वैरसल चाचारो। हरारा बेटा ६ राव वरसिंघ । ६ वीदो हरावत । ६ हमीर। ६ उद्धरण । ___ राव वरसिंघ हरावत अांक ६ पूगळ, विकूपुर दोन ठोड़े धणी हुवो । वरसिंघ वडा वडा प्रवाड़ा खाटिया । साखरो कवित पंच सहस मोगर सहस पंचह धमधारै'। पंच सहस पैसर कीय वंकड़े-करारै' । रैवारी रत्तड़ी फिरै आग पड़दारै। खड़े वाग' मोकळी10 चीत भाटियां करारै। बाहड़गिर खावड़ा कोटड़े छाहोटण सवाईयो । । गोरहर लगो जु मेहणो त्यै उतारण आवियो18 ॥ १ ऋहकहिया-कणछिया कच्छ लग्गी किरमाळां', कम्माळां भारिया पूठ जिरहां1 कम्माळा । 1 जगमाल देहेरे-भाचाहरमें रहता है। 2 इनकी। 3 पूगल और विकूपर दोनों जागीरोंका स्वामी हुया। 4 वरसिंहने बड़े-बड़े युद्धोंमें विजय और यश प्राप्त किया। 5 (१) गदाधारियोंको (२) गदारोंसे, मुद्गरोंसे । 6 नाश किया। 7 बांके और शक्तिशालियोंको। 8 चलाते हैं। 9 वाग, लगाम । 10 अधिक । 1114 बाहड़मेर (वाड़-::. मेर). खावड़, कोटड़ा और चौहटन-ये नगरोंके नाम हैं। 15 (१; जैसलमेरका किला । .. (२) जैसलमेर शहर । 16 कलंक। 17 उसको। 18 आया। 19 दीन होकर पुकारे, रोये। 20 तलवारें। 21 जिरहवस्तरोंसे । 22 ऊंटोंको। . . . .
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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