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________________ ११२ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात वात भाटियां मांहै केल्हणांरी साख' राव केल्हण केहररो, केहर रावळ मूळराजरो पोतरो'। पहली तो रावळ केहररै टीकानूं मुदायत वेटो केल्हण थो । पछै रावळ केहर विगर पूछियां कठैक सगाई कीवी । तरै रावळ केहर रीसायनै केल्हण वडा बेटानूं जेसळमेर थी परो काढियो । टीका लखमण लोहड़ा बेटानूं कियो । सु केल्हण एक वार तो को दिन आसणी- ... कोट रह्यो। पछै मन माहै विचारियो "पासणीकोट मोनूं पछैही. जेसळमेररो धणी रहण नहीं दै ।" तिण समै रावळ केहर रांम सरण । हुवो' । तरै केल्हण विचारियो-"कोहेक ठोड़ खाटणी ।" तिण दिन विकूपुर सूनो पड़ियो। तठे राव केल्हण प्रांण गाडा छोड़िया' । आगै । कोट मांहै घणा झाड़ ऊगा था, तिणांरी घणी झंगी हुय रही थी, सु सारा झाड़-फूस बाळ दिया। आप कोट मांहै वास कियो । .. तठा पैहली14 रावळ घड़सी धरती वाळण वास्तै15 विखा माहै चाकरी की, तद जैतुंग केल्हारो बेटो महिपो विखा माहै साथै हुतो। इण विखा मांहै घणी चाकरी करी हुती' । इण खरच घणो पूजवियो हुतो'. । सु पछै रावळ घड़सी धरती वाळी', तरै सारां विखायतांनूं...: वधारिया । तरै महिपानूं कह्यो-"थे मांहरी वडी चाकरी पोहता छो, सु थे मांगो तितरी धरती म्हे थां दा ।" तरै इण राणांरी तळाई . ___I भाटियोंमें केल्हण-भाटियोंकी शाखा। 2 पौत्र। 3 पहिले तो रावल केहरका बड़ा बेटा केल्हण राज्याधिकारी था। 4. तब रावल केहरने क्रोधित हो करके बड़े बेटे केल्हणको जैसलमेरसे निकाल दिया। 5 छोटे बेटे लखमणको राज्याधिकारी बनाया। 6 कई। 7 उस समय रावल केहर मर गया। 8 कोई एक जगह प्राप्त करनी चाहिये। 9 वहां राव केल्हणने अपने गाडोंको लाकर छोड़ दिया। (गाडा छोड़िया=मुकाम किया)। 10 वृक्ष । II उनकी घनी झांड़ी हो रही थी। 12 वृक्ष और घास जला दिया। : - 13 निवास किया। 14 उससे पहले । 15 रावल घड़सीने अपना राज्य वापिस लौटानेके ... लिये। 16 संकट काल : 17 इसने विखेमें बहुत सेवा की थी। 18 इसने अपना खर्च करके भी बहुत सहायता पहुँचाई। 19 जब रावल घड़सीने अपना राज्य लौटा लिया। 20 तब सभी संकटग्रस्तोंको उन्नत किया। 21 तुमने मेरी अन्त तक बड़ी सेवा की है। 22 सो तुम जितनी धरती मांगो उतनी हम तुम्हें दें।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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