SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 109
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १०१ २ रांदा। २ बांभण'। २ ईंदा । १ मांगळियो भाखड़ी रावळ भीमरी आसियो पीर कहै भीम भलां भलो रावळ रायहरां दन खाग दीपियो । ऊपर अवरावां नव धारणो परियां आपरां ।। सेने साखती साजत सीधरां नित गहमह नरां । हूकळ-हैमरां" धूसण-परधरा गाहण-गिरवरां ।। १ गिरवरां गाह सगाह गढपत वाह दे खग-वाह । खत्र-राह-जांणग° राह खळ-दळ'' दाह-दुबाह ।। पड़िगाह थाट-अथाग' पोरस अाह जस गुण ग्राह । वह माह निय वप वडां विरदां वीरवै वराह ॥ २ कळ चाळ' नित छात्राळ'' कंदळ' भीच काळ भुजाळ । सुंडाळ1 दरगह साबता वेगाळ बैग वडाळ । किरमाळ बळ रिण ताळ केता जीपणा-जमजाळ 25 । ........ ॥ ३ खग-झाटमुं वह थाट-खेसण वाट-दह" अवियाट । भिड़ घाट घय रिम-घड़ा-भांजण' दुयण वाळण दाट । रिपनाट परमळ हाट रावळ धरण परघर घाट ) पित-पाट-राखण पाटपत नप काट हंत निराट ॥ ४ — I दो ब्राह्मण। 2 आसिया पीराका कहा हुआ रावल भीमके संबंधका भाखड़ीछंद । 3 खङ्ग। 4 शोभित हुआ। 5 अन्य राजाओंके। 6 हाथियोंको। 7 घोड़ोंकी हिनहिनाहट। 8 शत्रुओं की धराका नाश करने वाला। 9 खङ्ग चलाने वाला। 10 क्षत्रियोचित मार्ग (कर्तव्य)को जानने वाला। II शत्रु दलके लिये राहु रूप । 12 वीरोंका संहार करने वाला (दुवाह-घोड़ा)। 13, 14 अपार सेनाका विध्वंस करने वाला। 15 युद्ध (असुर, शत्रु)। 16 युद्ध। 17 राजा। 18 युद्ध। 19 शूर-वीर - 20 योद्धा। 21 हाथी । 22 घोड़ा। 23 घोड़ा। 24 कृपाण, तलवार। 25 यम राजको जीतने वाला । - 26 सेनाओंको भगाने वाला। 27 नाश, नाश करने वाला। 28 वीर। 29 सेना। 30 शत्रु ओंकी सेनाओंका नाश करने वाला। 31 शत्रु ओंका संहार करने वाला। 32 शत्रुके आगे नहीं झुकने वाला। 33 पिताके राज्य को रक्षा करने वाला। 34 राजा। 35 क्रोध ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy