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________________ " ज्योतिय-गणितादि [१२१ पत्र क्रमांक ग्रन्थाङ्क मन्थनाम कर्ता भापा लिपिसमय संख्या विशेष ६३७ ६३६ / ६३४ | सूर्यचन्द्रपर्वाधिकार | भास्कर १२ सूर्यसिद्धांत | २८-३, सूर्यसिद्धान्त ३७११, सूर्यसिद्धान्त गोलाध्याय २४ सं० १८वीं श १ करणकेशरीगत " रध्वीं श. , शा.१६३६ " | १६१३, १६ श्रीउदयसिंघजीशासित चित्रकूट मे लिखित प्रथम पत्र अप्राप्त रा० १६वीं श १ सं० १७वीं श.१४१ वां | १७६३ | स्त्रीकुंडलिकाविचार २८६३ स्त्रीगर्भनिर्णय (७७) | ३७५० | स्त्रीजन्मकुंडलिकाफल २५५२ / स्त्रीजन्मपत्रीपद्धात १४वीं श | १८५० ११ लब्धिचन्द्र ३ सं० १७५१ में वेलाकूल मे रचित रामचन्द्र | २५५१ स्त्रीजन्मपत्री फल ६०३ स्त्रीजातक ६८९ स्त्रीजातक । ५८५६ | स्त्रीजातक | ३७४८ स्त्रीजातक १६वीं श १७८६ १७वीं श १७६७ | १८७६ विश्वनाय रामचन्द्र ६४६, ३७६३ स्त्रीजातक रामचन्द्र १६वीं श १२ | गूर्जरपत्तन में रचित ६ प्रथम पत्र नहीं है। सवाई जयपुरमेलिखित | ग्रन्थकार गूर्जरपत्तन निवासी थे। १२ ग्रंथकार का निवास स्थान गुर्जरपत्तन था। पत्र ८ वां में प्रकरण पूर्ण होने के बाद लेखक ने स्त्री कु डलिका विषयक काव्य लिखे हैं चमत्कार चिन्ता मण्यन्तर्गत । सरीयारी मे लिखित। ६५०, ३७६४ | स्त्रीजातक सटीक १८४८ ६५१ ३७६४ स्त्रीजातक सार्थ १६ मू०स० १८५२ अव्राक सं० १८वीं श ६५२ ३२ | स्वप्नाध्याय ४ प्रकरणकर्ता हरि दास का शिष्य व पुत्र होगा, अन्त्य पृष्ठ खराब होने से अस्पष्ट है।
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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