SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६६] राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर क्रमांक ग्रन्थाङ्क ग्रन्थनाम कर्ता भापा लिपि- पत्रसमय संख्या विशेष | ३२१४ ग्रहलाघवसारणीविधि ६२८ | ग्रहशीघ्रसिद्धि रागु० १६२८ त्रिविक्रमदैवज्ञ सं० १८८४ भाथोला में लिखित स० १७७६ में नलिनीपुर में रचित । १०३ महादेव १८वीं श. " , २ २ १०४ १०५ १५६० ग्रहसिद्धिप्रकरण २००० | ग्रहसिद्धिप्रकरण ३२४८ ग्रहस्पएकरणविधि १९८३ चक्रावली २८६३ चतुरक्षरपासाकेवली (६१) १८२ १६२२ | ११५से राजलदेसर ग्राम मे । | मुनि हीरकलश ने लिखी। रागु० १७वीं श. ६ वां १०२८ २८६३ चद्रगुप्तस्वप्नफल (१३) ६६१ चन्द्रग्रहणाधिकार १०६ करणकेशरी से उद्व त। करणकेशरीगत । ६८७ १८वीं श ८ १७वीं श A चन्द्रविग्रहणटिप्प गोदाहरण १११ | २८६३ चद्रराशिनिरूपण आदि (१७) ११२ ३८०६ चद्रसूर्यग्रहण सुगमप्रकार ११३ , २२४ चद्रार्कीसूत्र दिनकर ११४ २५८४ | चद्रार्की ११५ | ३२५३ / चंद्रार्की ११६ | ३८१५ चद्रार्की ११७ : २५८२ चद्रार्की टीका १४वीं श १९०४ १६वीं श १८२८ मोढज्ञातीय दिनकर कृत चद्रार्की की टीका है। १७८७ । १६वी श २५ ११८ ३१४१ चद्रोन्मीलन ११६ | ६६३ | चमत्कारचिन्तामणि | नारायण १२० | ११६२ | चमत्कारचिन्तामणि । वैद्यनाथ १२१ ३१२८ चमत्कारचिन्तामणि १२२ | ३७६८ चमत्कारचिन्तामणि | चमत्कारचिन्तामणि | मू० नारायण सटीक टी० धर्मेश्वर 8वीं श १८६० १६१२ ६ | वगडीद्र ग में लिखित २०
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy