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________________ क्रमांक प्रन्थाङ्क १२४ | ३१६८ | चमत्कार चिन्तामणि सटीक त्रिपाठ ६५५ | चमत्कारचिन्तामणि १२५ ग्रन्थनाम सस्तबक १२६ | १७८७ | चमत्कार चिन्तामणि स्त० वेकर (?) १२७ | ३२२६ | चमत्कारचिन्तामणि स्त० कर १२८ | ३२६६ चमत्कार चिन्तामरिण सस्तबक ३७६७ चमत्कारचिन्तामणि १२६ सस्तवक १३१ १३० | ३१७१ | चमत्कारचिन्तामणिसार्थ ३७६८ | चमत्कारचिन्तामणिसाथ ६११ |चमत्कारचिन्तामणिसार्थ तथा द्वादशभावफल १३२ १३३ | १९८५ चैत्रार्घकांड १३४ | २८६३ | छायाज्ञान (१०८) १३५ | ३७४४ जगद्भूपण सारिणी १३६ | ३७६० जगद्भूषणसारिणी १३७ ६२० | जन्मकु डलीविचारादि १३८ २८८२ जन्मपत्रीगणितक्रम १३६ - ६३८ | जन्मपत्रीपद्धति १४० २०१० | जन्मपत्रीपद्धति १४१ ३७४६ जन्मपत्रीपद्धति १४२ ३७६२ जन्मपत्रीपद्धति १४३ | ३७०५ जन्मपत्रीपद्धति ५६० जन्मपत्रीपद्धति १४४ ज्योतिष- गणितादि कर्त्ता भाषा मू० नारायण संस्कृत १६वीं श. मू० राजऋषि स०स्त० १७८६ रा०गु० स०स्त० | १७४२ नारायण प्रभ हरिदत्त हरजीत् लब्धिचन्द्र रा०गु० | स०स्त० | १६१६ रा०गु० | स०स्त० १७६८ रा०गु० स०स्त० रा०गु० अ०रा० रा०गु० स० लिपि - समय १८८४ १८७७ "" सं०० | १८०८ | रा०गु० स० सं०रा० स रागु सं० १६वीं श १६वीं श. रा० १६वीं श १६वीं श. १८२२ " स०रा० स० १७वीं श १८७६ १८४७ " स रागु १८वीं श पत्रसंख्या २६ १२ १५ १८१० १२ १६ १४ ४४ ३० १३ SS ७१ १३०५ १६ प्रति १५ वीं श० की ज्ञात होती है। १७वीं श. १६५वां हीराक (हीरकलश) लिखित । शाके १५६० में रचित ६ २६ १६ २६ १७५ ७६ ६६ [ 200 १८५४ १३६ विशेष स्तंभतीर्थ में रचित | पत्तन में लिखित | देवली में लिखित माडवीविन्दर में लिखित | पल्लिका मे लिखित | योधांका वराटीया ग्राम में लिखित । स. १७५१ में वेला कूल में रचित । माडवी विन्दर में लिखित |
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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