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________________ क्रमांक ग्रन्थाङ्क ८२ ६१८ ग्रहणविचार ८३ : १७७७ ग्रहण विचार ८४ २५७४ | ग्रहणविचार ८५ ८६ 5G ες ζε ६० ६१ ४ ६२ K ६७ ६८ ६३ ३१५७ | ग्रहलाघव ग्रहलाघव ६४ ३४५४ ६५ ३७७६ | ग्रहलाघव ६६ ग्रन्थ नाम १०० ६४५ ग्रहणसाधन ६७४ | ग्रहणादि अनेक विचार ४११ | ग्रहणार्कज्ञान ३७०६ |ग्रहभावप्रकाशताजिक २५१४ | ग्रहभावफल २८६३ - | ग्रहभावफल (पद्य) (१४) ६२२ |ग्रहलाघव ६५८ | ग्रहलाघव २०१ महलाघव उदाहरणवृत्तिसह त्रिपाठ ५८५ | ग्रहलाघव टीका ५६७ | ग्रहलाघव टीका ज्योतिष गणितादि कर्त्ता ब्रह्मगुप्त पद्मप्रभ गणेश गणेशदैवज्ञ 22 मू० गणेशदैवज्ञ टी० विश्वनाथ दैवज्ञ, विश्वनाथ विश्वनाथ ३७८७ हलावव (गणेशकृत) टीका ३७८८ ग्रहलाघव (गणेशकृत) दिनकर टीका भाषा रा०गु० १६वीं. श १६वीं श. "" रा० १६वीं श रा०गु० 29 सं० و स० 33 " लिपि - समय " " "" " १८४० १७वीं श११ ह १६वीं श. रा०गु० १७वीं श, ध्वां 6 " १६०३ १७३३ १८५७ १७वीं श १८५६ २० १८२७ १६ १८२७ पत्र संख्या १८५१ २ १८२० २ ! |१६वीं श. १०३ ८, 3 409 ३५ ३२ २३ [ ६५ विशेष : नदिग्राम में रचित | दिग्राम में रचित 1, भुजनगर मे लिखित वां तथा १० वा अधिकार मात्र । षांन राहीवर में लिखित पत्र पन्द्रहवां नहीं है । टीका करने आदि में ग्रन्थकार की अन्य कृतियों का नामोल्लेख दिया है। सिद्धान्तरहस्योदाहर, टीका । गोलग्राम मे रचित । सिद्धान्त रहस्योदाहर. टीका । गोलग्राम में रचित । मेदिनीपुर में लिखित | रूपनगढ़ मे लिखित ग्रन्थकार वारेजाग्राम निवासी थे ।
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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