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________________ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान---विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] - - - - ग्रन्थनाम : ' कर्ता लिपिसमय पत्रसंख्या विशेष विवरण आदि (३४) (२२७) गुणप्रेमकहानी छन्द १८ मियां वाजिद (२२८) गुणविरहको अंग छन्द १७० । । १७१५५०७वां ५०७-५११ | प्रायः दोहा छन्द प्रयुक्त हुआ है। गुणगंज नामाकी तरह है। ५११-५१२ (२२६) पदजखड़ी (राग गौड़ी मल्हार, , मारू आदि) . (२३०) गुणनिशानी छन्द १५ , (२३१) गुण छन्द १५ (२३२) गुणहितउपदेश छन्द २६३ (२३३) भूगोलपुराण ग्रन्थ ५१२-५१३ ५१३वा बहुत रोचक कथा है। अन्तमें परिल्ल है। (२३४) निरञ्जनपुराणग्रन्थ : सुन्दरदास । (२३५) ज्ञानसमुद्र (उल्लास ५) (२३६) तर्कचिन्तावणी छन्द ५६ ' (२३७) विवेकचेतावनी छन्द ४० (२३८) गृहवैराग्यबोध (२३६) देहप्राणसंवाद जखड़ी पद ८ (२४०) सुन्दरदासजीको चेतावनी हरिबोलचेतावनी ५२४-५२८ | गद्य तथा ५२४ पद्य हैं । कुछ बातें प्रमाणित नहीं हैं। ५२८-५३१ | किसी ब्रह्मत्व-प्राप्त अथवा भंगड़का बनाया प्रतीत होता है। कर्ताका नाम नहीं दिया है । अन्तमें (गोरखग्रन्य) ऐसा लिखा है। ५३१-५४६ | इसमें संवत्का छन्द नहीं है । ५४६-५५१ ५५१-५५२ ५५२-५५४ ५५४-५५५ ५५५वौं ५५५-५५६
SR No.010606
Book TitleVidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1961
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size9 MB
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