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________________ राजस्थानापविद्याविष्ठान----विद्याभपण-ग्रन्य-संग्रह-सूची [ ८६ कर्ता लिपिसमय पनसंख्या विशेप विवरण आदि (६१)/(२१) हीयाली फयित्त (फहमुफरीके अनेक कवि १७६६ ६७-७० इसमें 'कवित्त मंछ उथल' तथा पत्रके प्रास्ताविक दोहे एवं बिहारीकविके एक दो | दोहों पर पघटीका है । (सं.) | चक्रबन्ध काव्य । कवि पीथल (२२) कवित्त प्रप्टाविधानी (२३) सधया छप्पय प्रावि (२४) मधुमालती ७०-७१ ७१-७४ १-३८ चतुर्भुजदास लि.स्था.--गिरवरपुर, साहदेवजी बीजावरगी| पठनार्थ। लि.क.- मनसाराम पांडे । ६२ १८६६ (१) मधुमालती (२) हितोपदेश भाषा (३) रतनायतीको वारता विष्ण शर्मा जान कवि चतुर्भ जवास ६३ | मधुमालती . . सन १४३ , ६७-१४२ . , ,, रचना-सं. १६६१, हिजरी १०१४। . १६६६ १७५ यह प्रतिलिपि १८५३की प्रतिसे लिपीकृत है। | इसी पुस्तकमें ३५ स्फुट पत्र और हैं जो | भगवानदास लेखक द्वारा प्रेसकापीके रूपमें किये हुए हैं । (सं.) १९वी.श. १-१० १-३ पत्र तक कवित्त हैं। • ६४ (१) हमीर रासो (१ कवित्त, नोसाणी महाराज प्रतापस्यघजीको मिडिया हुकमचंदजीरी : घणा १०-१७ (२) नीसाणी महाराजकुमार राय- भूधरदास चंद मनोहरदासोतरी (३) कवित्त १७-२७ राव हणू श्रादिके सम्बन्धमें।
SR No.010606
Book TitleVidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1961
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size9 MB
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