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________________ सर्वतोमुखी व्यक्तित्व २५ उत्तम प्रकार के प्रवक्ता हैं, प्रखर चर्चावादी हैं और मधुर कवि हैं । वस्तुतः उनका व्यक्तित्व एक बहुमुखी व्यक्तित्व है । वे संस्कृति और संयम के अमर कलाधर हैं । समाज का एकीकरण : उपाध्याय अमर मुनि जी महाराज के व्यक्तित्व का गौरवपूर्ण और महत्वपूर्ण अंग है - युग-युग के विखरे समाज का एकीकरण | स्थानकवासी समाज सदा से बिखराव की ओर ही बढ़ता रहा हैं, एकीकरण और संघटन की ओर उसके कदम बहुत कम बढ़े हैं । अजमेर सम्मेलन में अवश्य ही बिखरे समाज को समेटने का प्रयत्न किया गया था, परन्तु उसमें सफलता की अपेक्षा विफलता ही अधिकतर हमारे पल्ले पड़ी थी, क्योंकि उस समय सम्प्रदायवाद का गढ़ तोड़ा नहीं जा सका था । जव तक साम्प्रदायिक व्यामोह दूर न हो, तब तक कोई भी संघटन स्थिर नहीं हो सकता, चिर-जीवित नहीं बनता । अजमेर सम्मेलन से पूर्व कभी सन्त जन मिल-जुलकर नहीं बैठे | कभी उन्होंने समाज की और अपनी समस्याओं पर एक जगह मिल-बैठकर विचार नहीं किया। एक-दूसरे को समझ नहीं सके, परख नहीं सके । फिर सफलता की आशा भी कैसे की जा सकती थी ? फिर भी अजमेर सम्मेलन को सर्वथा असफल भी नहीं कहा जा सकता । कुछ न होने से कुछ होना सदा अच्छा कहा जाता है, माना जाता है । परन्तु सादड़ी सम्मेलन में - जिसका नेतृत्व, महामनस्वी उपाध्याय मर मुनिजी के हाथ में था - विफलता की अपेक्षा सफलता के अधिक दर्शन होते हैं । इसके तीन कारण हैं - १. जन चेतना की जागृति । २. सादड़ी सम्मेलन से पूर्व भी सन्तों का मेल-मिलाप और बात-चीत । ३. कवि जी महाराज का साम्प्रदायिक दृष्टिकोण और संघटन में प्रवल निष्ठा । युग-युग से बिखरे स्थानकवासी समाज की दुर्दशा को देखकर कवि जी महाराज के कोमल मानस में बड़ी पीड़ा होती थी । सम्प्रदायों ४
SR No.010597
Book TitleAmarmuni Upadhyaya Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1962
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Literature
File Size10 MB
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