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________________ जगचिंतामणि चैत्यवंदन । २५ * जयउ सामिय जयउ सामिय रिसह सपुंजि, उज्जित पहु नेमिजिण, जय वीर सच्चाउरिमंडण, भरुअच्छहिं मुणिसुव्वय, मुहरिपास | दुह- दुरिअखंडण अवर विदेहिं तित्थयरा, चिहुं दिसिविदिसि जिं के वि तीआणागयसंपइअ बंदु जिण सव्वेवि ॥३॥ - अन्वयार्थ – 'जय सामिय जयउ सामिय' हे खामिन् ! आपकी जय हो, आपकी जय हो । 'सत्पुंजि' शत्रुञ्जय पर्वत पर स्थित 'रिसह ' हे ऋषभदेव प्रभो ! 'उज्जित' उज्जयन्तगिरिनार पर्वत - पर स्थित 'पहु नेमिजिण' हे नेमिजिन प्रभो ! 'सच्चाउरिमंडण' सत्यपुरी - साचोर - के मण्डन 'वीर' हे वीर प्रभो ! 'भरुअच्छर्हि' भृगुकच्छ--भरुच में स्थित 'मुणिसुव्वय' हे मुनिसुव्रत प्रभो ! तथा 'मुहरि' मुहॅरी - टीटीई - गांव में स्थिति 'पास' हे पार्श्वनाथ प्रभो ! 'जयउ ' आपकी जय हो । 'विदेहिं ' महा * जयतु स्वामिन् जयतु स्वामिन् ! ऋषभ शत्रुञ्जये । उज्जयन्ते प्रभो नेमिजिन । जयतु वार सत्यपुरीमण्डन । भृगुकच्छे मुनिसुव्रत । मुखरि पार्श्व । दुःख-दुरित-खण्डनाः अपरे विदेहे तीर्थकराः, चतसृषु दिक्षु विदिक्षु ये केsपि अतीतानागतसाम्प्रतिकाः वन्दे जिनान् सर्वानपि ॥३॥ १- यह जोधपुर स्टेट में हैं । जोधपुर-बीकानेर रेलवे, बाड़मोर स्टेशन से जाया जाता है । २ - यह शहर गुजरात में बड़ौदा और सुरत के बीच नर्मदा नदी के तट पर स्थित है । ( बी. बी. एन्ड सी. आई रेलवे ) ३~~यह तीर्थ इस समय इडर स्टेट में खंडहर रूप में है । इसके जीर्ण मन्दिर की प्रतिमा पास के टीटोई गाँव में स्थापित की गई है ।
SR No.010596
Book TitleDevsi Rai Pratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal
PublisherAtmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publication Year1921
Total Pages298
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size16 MB
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