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________________ [ ३ को ३०. देवसि आलोउं सूत्र । ३१. सात लाख । . ... ... ३२. अठारह पापस्थान। .... [ 'योनि-' शब्द का अर्थ ।] ३३. सव्वस्सवि। . . .... .... ३४. वंदित्तु सूत्र । [ अतिचार और भङ्ग का अन्तर ।] अणुव्रतादि व्रतों के विभागान्तर ।] .. [चतुर्थ-अणुव्रती के भेद और उन के अतिचार-विषयक मत-मतान्तर ।] ... ['परिमाण-अतिक्रमण-' नामक अतिचार का खुलासा 1] ९८ [ऋद्धि गौरव का स्वरूप ।] ... ११६ [ग्रहण शिक्षा का स्वरूप । ] ... [ आसेवन शिक्षा का स्वरूप ।] [ समिति का स्वरूप और उस के भेद । ] [गुप्ति और समिति का अन्तर ।] [ गुप्ति का स्वरूप और उस के भेद । ] ... [ गौरव और उस के भेदों का स्वरूप । [ संज्ञा का अर्थ और उस के भेद ।] [ कषाय का अर्थ और उस के भेद ।] [ दण्ड का अर्थ और उस के भेद ।] ३५. अब्भुट्ठियो सूत्र । ... १२६ ३६. आयरिअउवज्झाए सूत्र । [गच्छ, कुल और गण का अर्थ ।] १२९ ३७. नमोऽस्तु वर्धमानाय । १३० : : : : : : १९८. : : १२८ :
SR No.010596
Book TitleDevsi Rai Pratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal
PublisherAtmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publication Year1921
Total Pages298
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size16 MB
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