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________________ [२] १६. परमेष्ठि- नमस्कार । १७. उवसग्गहरं स्तोत्र । 0.-9 [ उवसग्गहरं स्तोत्र के बनाने का निमित्त । ] १८. जय वीयराय सूत्र । १९. अरिहंत चेइयाणं सूत्र । २०. कल्लांणकंदं स्तुति । २१. संसारदावानल स्तुति । [ चूलिका की परिभाषा । ] [गम के तीन अर्थ । ] २२. पुक्खर वर- दीवड्ढे सूत्र । ... २७. इच्छामि ठाउं सूत्र । २८. आचार की गाथाएँ | .... ... [ संक्षिप्त और विस्तृत प्रार्थनाओं की मर्यादा ।] २९. सुगुरु-वन्दन सूत्र । ... .... ... ... ... [ बारह अङ्गों के नाम । ] २३. सिद्धाणं बुद्धाणं सूत्र । २४. वेयावच्चगराणं सूत्र । २५. भगवान् आदि को वन्दन । २६. देवसिय पडिक्कमणे ठाउं । ... ... .... ... .... ... .... ()... [ पाँच प्रकार के सुगुरु । ] [ तीन प्रकार के वन्दनों का लक्षण ।] [ सुगुरु-वन्दन के पच्चीस आवश्यक । ] ... ... ... ... ... :: ... ... ... ... .... ... [ कालिक और उत्कालिक के पढ़ने का समय । ] ... ... ... 08. ... 400 २५ 33 "" ३९ " ४२ ४३ ४७ ५० " ५२ " ५६ ६० ६१ w "" ६२ ६४ ६६ ७३ "" ار ૭૪
SR No.010596
Book TitleDevsi Rai Pratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal
PublisherAtmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publication Year1921
Total Pages298
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size16 MB
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