SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 995
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ९२० सुत्तागमे [. दासुखंध अंतो छण्हं मासाणं गणाओ गणं संकममाणे सबले ॥ २९ ॥ अंतो मासस्स तओ दगलेवे करेमाणे सबले ॥ ३० ॥ अंतो मासस्स तओ मा [ ईठा ] इट्ठा करे (सेव) माणे सबले ॥ ३१ ॥ सा[ग]गारियपिंडं भुंजमाणे सबले ॥ ३२ ॥ आउट्टियाए पाणाइवायं करेमाणे सबले ॥ ३३ ॥ आउट्टियाए मुसावायं वयमाणे सबले ॥ ३४ ॥ आउट्टियाए अदिण्णादाणं गिण्हमाणे सबले || ३५ || आउट्टियाए अणंतरहियाए पुढवी ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चे [त ] एमाणे सबले ॥ ३६ ॥ एवं ससिणिद्धा पुढवीए एवं ससरक्खाए पुढवीए ॥ ३७ ॥ एवं आउट्टियाए चित्तमंताए सिलाए चित्तमंताए लूए कोलावासंसि वा दारुए जीवपइट्ठिए सअंडे सपाणे सबीए सहरिए सउस्से सउदगे सउत्तिंगे पणगदगम (ट्टिय ) ट्टीए मक्कडा संताणए तहप्पगारं ठाणं वा सिज्जं वा निसीहियं वा चेएमाणे सबले ॥ ३८ ॥ आउट्टियाए मूलभोयणं वा कंदभोयणं वा खंधभोयणं वा तयाभोयणं वा पवालभोयणं वा पत्तभोयणं वा पुप्फभोयणं वा फलभोयणं वा बीयभोयणं वा हरियभोयणं वा भुंजमाणे सबले ॥ ३९ ॥ अंतो संवच्छरस्स दस दगलेवे करेमाणे सबले ॥ ४० ॥ अंतो संवच्छरस्स दस माइट्ठाणाई करेमाणे सबले ॥ ४१ ॥ आउट्टियाए सीओदयवियडवग्घारिय (पाणिणा)-- हत्थेण वा मत्तेण वा द[विष्ण]व्वीए वा भायणेण वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहित्ता भुंजमाणे सबले ॥ ४२ ॥ एए खलु ते थेरेहिं भगवंतेहिं. गवी सबला पण्णत्ता ॥ ४३ ॥ ति-बेमि ॥ बिइया दसा समत्ता ॥ २ ॥ तइया दसा सुयं मे आउसं! तेणं भगवया एवमक्खायं, इह खलु थेरेहिं भगवंतेहिं ते[ती]त्तीसं आसायणाओ पण्णत्ताओ, कयरा खलु ताओ थेरेहिं भगवंतेहिं तेत्तीसं असायणाओ पण्णत्ताओ ? इमाओ खलु ताओ थेरेहिं भगवंतेहिं तेत्तीस आसायणाओ पण्णत्ताओ । तंजहा- सेहे रा [य] इणियस्स पुरओ गंता भवइ आसाणा सेहस्स ॥ ४४-४५ ॥ सेहे राइणियस्स सपक्खं गंता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ४६ ॥ सेहे राइणियस्स आसन्नं गंता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ४७ ॥ सेहे राइणिस्स पुरओ चिट्ठित्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ४८ ॥ सेहे राइणियस्स सपक्खं चिट्ठित्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ४९ ॥ सेहे राइणियस्स आसन्नं (ठिच्चा) चिट्ठित्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ५० ॥ सेहे राइणियस्स पुरओ निसीइत्ता भवइ आसायणा सेहस्सं ॥ ५१ ॥ सेहे राइणियस्स सपक्खं निसीइत्ता भवइ आसा - यणा सेहस्स ॥ ५२ ॥ सेहे राइणियस्स आसन्नं निसीइत्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ५३ ॥ सेहे राइणिएणं सद्धिं बहिया वियारभूमिं [वा ] निक्खंते समाणे तत्थ सेहे
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy