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________________ द० ३ एक्कतीसइमा आसायणा] सुत्तागमे ९२१ पुव्वतरागं आयमइ पच्छा राइणिए भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ५४ ॥ सेहे राइणिएणं सद्धिं बहिया वियारभूमिं वा विहारभूमि वा निक्खंते समाणे तत्थ सेहे पुव्वतरागं आलोएइ पच्छा राइणिए भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ५५ ॥ केई राइणियस्स पुव्वसंलवित्तए सिया, तं सेहे पुव्वतरागं आलवइ पच्छा राइणिए भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ५६ ॥ सेहे राइणियस्स राओ वा वियाले वा वाहरमाणस्स अजो! के सु(त्ते)त्ता के जाग(रे)रा ? तत्थ सेहे जागरमाणे राइणियस्स अपडिसुणेत्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ५७ ॥ सेहे असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहित्ता तं पु[व्वव्वामेव सेहतरागस्स आलोएइ पच्छा राइणियस्स भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ५८ ॥ सेहे असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहित्ता तं पुवामेव सेहतरागस्स उवदंसेइ पच्छा राइणियस्स भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ५९ ॥ सेहे असणं वा...पडिगाहित्ता तं पुत्वामेव सेहतरागं उवणिमंतेइ पच्छा राइणि ए]यं भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ६० ॥ सेहे राइणिएण सद्धिं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहित्ता तं राइणियं अणापुच्छित्ता जस्स जस्स इच्छइ तस्स तस्स खद्धं [खंध] २ तं दलयइ आसायणा सेहस्स ॥ ६१ ॥ सेहे असणं वा ४ पडिगाहित्ता राइणिएणं सद्धिं भुजमाणे तत्थ सेहे खद्धं २ डागं डागं ऊसढं ऊसढं रसियं रसियं मणुन्नं मणुन्नं मणामं मणामं निद्धं निद्धं लुक्खं लुक्खं आहारित्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ६२ ॥ सेहे राइणियस्स वाहर(आलव)माणस्स अपडिसुणित्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ६३ ॥ सेहे राइणियस्स वाहरमाणस्स तत्थ गए चेव पडिसुणित्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥६४॥ सेहे राइणियस्स किंति-वत्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥६५॥ सेहे राइणियं तुमंतिवत्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ६६ ॥ सेहे राइणियं खद्धं खद्धं वत्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ६७ ॥ सेहे राइणियं तजाएणं [२] पडिहणित्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ६८ ॥ सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स इति एवं वत्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ६९ ॥ सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स णो सुमरसीति वत्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ७० ॥ सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स णो सुमणसे भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ७१ ॥ सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स परिसं भेत्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ७२ ॥ सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स कहं अच्छिदित्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ७३ ॥ सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स तीसे परिसाए अणुट्ठियाए अभिन्नाए अवुच्छिन्नाए अवोगडाए दो(दु)चंपि तच्चपि तमेव कहं कहित्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥ ७४ ॥ सेहे राइणियस्स सिजासंथारगं
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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