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________________ णमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ णायपुत्तमहावीरस्स सत्तागम तत्थ णं दसाहयक्खंधो पढमा दसा सुयं मे आउसं ! तेणं भगवया एवमक्खायं, इह खलु थेरेहिं भगवंतेहिं वी[बी]सं असमाहि[ठा]ट्ठाणा पण्णत्ता, कयरे खलु ते थेरेहिं भगवंतेहिं बीसं असमाहिट्ठाणा पण्णत्ता ? इमे खलु ते थेरेहिं भगवंतेहिं वीसं असमाहिढाणा पण्णत्ता । तंजहा-दवदवचारी यावि भवइ ॥ १ ॥ अ(प)पमज्जियचारी यावि भवइ ॥ २ ॥ दुपमज्जियचारी यावि भवइ ॥ ३ ॥ अइरित्तसेज्जासणिए ॥ ४ ॥ राइणियपरिभासी ॥ ५॥ थेरोवघाइए ॥ ६ ॥ भूओवघाइए ॥ ७ ॥ संजलणे ॥ ८ ॥ कोहणे ॥ ९॥ पिट्ठिमंसिए ॥ १० ॥ अभिक्खणं अभिक्खणं ओहा(रि)रइत्ता भवइ ॥ ११॥ णवाणं अहिगरणाणं अणुप्पण्णाणं उप्पाइत्ता भवइ ॥ १२ ॥ पोराणाणं अहिगरणाणं खामिय विउसवियाणं पुणो(उ)दी(रि)रेत्ता भवइ ॥ १३ ॥ अकालसज्झायकारए यावि भवइ ॥ १४ ॥ ससरक्खपाणिपाए ॥ १५ ॥ सद्दकरे (भेयकरे) ॥ १६ ॥ झंझकरे ॥ १७ ॥ कलहकरे ॥ १८ ॥ सूरप्पमाणभोई ॥ १९ ॥ एसणाऽसमिए यावि भवइ ॥ २० ॥ एए खलु ते थेरेहिं भगवंतेहिं वीसं असमाहिट्ठाणा पण्णत्ता ॥ २१ ॥ ति-बेमि ॥ पढमा दसा समत्ता ॥१॥ बिइया दसा सुयं मे आउसं ! तेणं भगवया एवमक्खायं, इह खलु थेरेहिं भगवंतेहिं एगवीसं सबला पण्णत्ता, कयरे खलु ते थेरेहिं भगवंतेहिं एगवीसं सबला पण्णत्ता ? इमे खल ते थेरेहिं भगवंतेहिं एगवीसं सबला पण्णत्ता । तंजहा-हत्थकम्मं करेमाणे सबले ॥ २२ ॥ मेहुणं पडिसेवमाणे सबले ॥ २३ ॥ राइभोयणं भुंजमाणे सबले ॥ २४ ॥ आहाकम्मं भुंजमाणे सवले ॥ २५॥ रायपिंडं भुंजमाणे सबले ॥२६॥ (उद्देसियं) कीयं वा पामिच्चं वा अच्छिजं वा अणिसिटुं वा आइ१ दिजमाणं वा भुंजमाणे सवले ॥ २७ ॥ अभिक्खणं अभिक्खणं पडियाइक्खेत्ताणं भुंजमाणे सबले ॥२८॥ १ अण्णे आयरिसे पारंभे पंच णमोकारोऽहिगो लब्भइ। ..
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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