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________________ उ० ८ चाउम्मासियमणुग्धाइयं] सुत्तागमे ८७९ एगाए इत्थीए सद्धिं विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ असणं वा ४ आहारेइ उच्चारं वा पासवणं वा परिवेइ अण्णयरं वा अणारियं पिहणं अस्समणपाओग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइज्जइ ॥ ५५५ ॥ जे भिक्खू असि वा अट्टालयंसि वा चारियसि वा पागारंसि वा दारंसि वा गोपुरंसि वा एगो० इत्थीए सद्धिं विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ असणं वा ४ आहारेइ उच्चारं वा पासवणं वा परिटवेइ अण्णयरं वा अणारियं पिहुणं अस्समणपाउग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइजइ ॥ ५५६ ॥ जे भिक्ख दगंसि वा दगमगंसि वा दगपहंसि वा दगतीरंसि वा दगठाणंसि वा एगो० इत्थीए सद्धिं विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ असणं वा ४ आहारेइ उच्चारं वा पासवणं वा परिट्ठवेइ अण्णयरं वा अणारियं पिहुणं अस्समणपाउग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइजइ ॥ ५५७ ॥ जे भिक्खू सुण्णगिहंसि वा सुण्णसालंसि वा भिण्णगिहंसि वा भिण्णसालंसि वा कूडागारंसि वा कोट्ठागारंसि वा एगो० इत्थीए सद्धिं विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ असणं वा ४ आहारेइ उच्चारं वा पासवणं वा परिहवेइ अण्णयरं वा अणारियं पिहुणं अस्समणपाउग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइज्जइ ॥५५८॥ जे भिक्खू तणगिहंसि वा तणसालंसि वा तुसगिहंसि वा तुससालंसि वा भुसगिहंसि वा भुससालंसि वा एगो० इत्थीए सद्धिं विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ असणं वा ४ आहारेइ उच्चारं वा पासवणं वा परिट्ठवेइ अण्णयरं वा अणारियं पिहुणं अस्समणपाउग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइज्जइ ॥ ५५९ ॥ जे भिक्खू जाणसालंसि वा जाणगिहंसि वा जुग्गसालंसि वा जुग्गगिहंसि वा एगो० इत्थीए सद्धि विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ असणं वा ४ आहारेइ उच्चारं वा पासवणं वा परिवेइ अण्णयरं वा अणारियं पिहुणं अस्समणपाउग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइज्जइ ॥ ५६० ॥ जे भिक्खू पणियसालंसि वा पणियगिहंसि वा परियासालंसि वा परियागिहंसि वा कम्मियसालंसि वा कम्मियगिहंसि वा एगो० इत्थीए सद्धिं विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ असणं वा ४ आहारेइ उच्चारं वा पासवर्ण वा परिहवेइ अण्णयरं वा अणारियं पिहुणं अस्समणपाउग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइजइ ॥ ५६१ ॥ जे भिक्खू गोणसालंसि वा गोणगिहंसि वा महाकुलंसि वा महागिहंसि वा एगो० इत्थीए सद्धि विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ असणं वा ४ आहारेइ उच्चारं वा पासवणं वा परिट्ठवेइ अण्णयरं वा अणारियं पिहुणं अस्समणपाउग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइजइ ॥ ५६२ ॥ जे भिक्खू राओ वा वियाले वा इस्थिमज्झगए इत्थिसंसत्ते इत्थिपरिवुडे कहं कहेइ कहेंतं वा साइजइ ॥ ५६३ ॥ जे भिक्खू सगणिन्चियाए वा परगणिच्चियाए वा णिग्गंथीए सद्धिं
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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