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________________ सुत्तागमे [पण्णवणासुतं लयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति ? गोयमा ! दोहिन्तो वि उववजन्ति । जइ समुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति किं पजत्तयसंमुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति, अपज्जत्तयसंमुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजन्ति ? गोयमा ! पजत्तएहिन्तो उववजन्ति, नो अपजत्तएहिन्तो उववजन्ति । जइ गब्भवकंतियभुयपरिसप्पथलयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति किं पजत्तएहिन्तो उववजन्ति, अपज्जत्तएहिन्तो उववजन्ति ? गोयमा ! पजत्तएहिन्तो उववजन्ति, नो अपजत्तएहिन्तो उववजन्ति ॥ ३०५॥ जइ खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववनंति किं संमुच्छिमखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति, गब्भवतियखहयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति ? गोयमा ! दोहिन्तो वि उववजन्ति। जइ संमुच्छिमखहयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजंति किं पजत्तएहिन्तो उववजन्ति, अपजत्तएहिन्तो उववज्जति ? गोयमा ! पजत्तएहिन्तो उववज्जति, नो अपजत्तएहिंतो उववजंति । जइ पजत्तयगब्भवतियखहयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजंति किं संखेजवासाउएहिन्तो उववजति, असंखेजवासाउएहिन्तो उववजंति ? गोयमा ! संखेजवा साउएहिन्तो उववजति, नो असंखेजत्रासाउएहिन्तो. उववति । जइ संखेजवासाउयगब्भवतियखहयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजंति किं पजत्तएहिन्तो उववजन्ति, अपज्जत्तएहिन्तो उववजन्ति ? गोयमा ! पज्जत्तएहिन्तो उववजन्ति, नो अपज्जत्तएहिन्तो उववजन्ति ॥ ३०६ ॥ जइ मणुस्सेहिन्तो उववजन्ति किं संमुच्छिममणुस्सेहिन्तो उववजन्ति, गब्भवकन्तियमणुस्सेहिन्तो उववजन्ति ? गोयमा ! नो समुच्छिममणुस्सेहिन्तो उववजन्ति, गम्भवक्कंतियमणुस्से हिन्तो उववजन्ति । जइ गब्भवकंतियमणुस्सेहिन्तो उववजन्ति किं कम्मभूमिगगब्भवकंतियमणुस्सेहिन्तो उववजन्ति, अकम्मभूमिगगब्भवकंतियमणुस्सेहिन्तो उववजन्ति, अंतरदीवगगब्भवकंतियमणुस्से हिन्तो उववजन्ति ? गोयमा ! कम्मभूमिगगब्भवकंतियमणुस्सेहिन्तो उववजन्ति, नो अकम्मभूमिगगब्भवकंतियमणुस्सेहिन्तो उववजन्ति, नो अंतरदीवगगब्भवक्कंतियमणुस्सेहिन्तो उववजन्ति । जइ कम्भभूमिगगब्भवक्कंतियमणुस्सेहिन्तो उववजन्ति किं संखेजवासाउएहिन्तो. उववजन्ति, असंखेजवासाउएहिन्तो उववजन्ति ? गोयमा ! संखेज्जवासाउयकम्मभूमिगगब्भवक्कन्तियमणूसेहिन्तो उववजन्ति, नो असंखेजवासाउयकम्मभूमिगगब्भवकंतियमणुस्सेहिन्तो उववजन्ति । जइ संखेजवासाउयकम्मभूमिगगब्भवक्कंतियमणुस्सेहिन्तो उववजन्ति किं. पजत्तेहिन्तो उववजन्ति, अपजत्तेहिन्तो उवव
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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