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________________ प०६ दा० ५ णेरइय०] सुत्तागमे ३७५ थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववजंति, गब्भवतंतियचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववज्जति । जइ समुच्छिमचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं पज्जत्तगसंमुच्छिमचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति, अपजत्तगसंमुच्छिमचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्ख जोणिएहिंतो उववज्जति ? गोयमा ! पजत्तगसंमुच्छिमचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति, नो अपज्जत्तगसंमुच्छिमचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजति । जइ गब्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजन्ति किं संखेजवासाउयगब्भवतियचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजन्ति, असंखेजवासाउयगब्भवतियचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजन्ति ? गोयमा ! संखेज्जवासाउएहिंतो उववजन्ति, नो असंखेजवासाउएहिंतो उववजन्ति । जइ संखेजवासाउयगब्भवकंतियचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजन्ति किं पजत्तगसंखेज्जवासाउयगब्भवतियचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजन्ति, अपजत्तगसंखेजवासाउयगब्भवकंतियचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति ? गोयमा ! पज्जत्तेहिंतो उववजन्ति, नो अपज्जत्तसंखेज्जवासाउएहिंतो उववजन्ति । जइ परिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति किं उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति, भुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति ? गोयमा ! दोहितो वि उववजन्ति । जइ उरपरिसप्पथलयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति किं संमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति, गब्भवक्तंतियउरपरिसप्पथलयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति ? गोयमा ! समुच्छिमेहिंतो उववजन्ति, गब्भवकंतिएहितो वि उववजन्ति । जइ संमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति किं पजत्तएहिन्तो उववजन्ति, अपजत्तएहिन्तो उववजन्ति ? गोयमा ! पजत्तयसमुच्छिमेहिन्तो उववजन्ति, नो अपजत्तयसंमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजन्ति । जइ गब्भवकंतियउरपरिसप्पथलयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति किं पजत्तएहिन्तो उववजन्ति, अपजत्तएहिन्तो उववजन्ति ? गोयमा ! पजत्तयगब्भवऋतिएहिन्तो उववजन्ति, नो अपजत्तयगब्भवकंतियउरपरिसप्पथलयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति । जइ भुयपरिसप्पथलयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति किं समुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचिन्दियतिरिक्खजोणिएहिन्तो उववजन्ति, गब्भवकंतियभुयपरिसप्पथ
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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