SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1152
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अंतगड सापुच्छा ] सुत्तागमे विष्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ, सेत्तं विवाहे ५ ॥ ५० ॥ से किं तं नायाथम्मकहाओ ? नायाधम्मकहासु णं नायाणं नगराई, उज्जाणाई, समोसरणाई, रायाणो, अम्मापियरो, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइयपरलोइया इडिविसेसा, भोगपरिच्चाया, पव्वज्जाओ, परियाया, सुयपरिग्गहा, तवोवहाणाई, संलेहणाओ, भत्तपश्च्चक्खाणाई, पाओवगमणाई, देवलोगगमणाई, सुकुलपच्चायाईओ, पुणवोहिलाभा, अंतकिरियाओ य आघविज्जंति, दस धम्मकहाणं वग्गा, तत्थ णं एगमेगाए धम्काए पंच पंच अक्खाइयासयाई, एगमेगाए अक्खाइयाए पंच पंच उवक्खाइ - यासयाई, एगमेगाए उवक्खाइयाए पंच पंच अक्खाइयउवक्खाइयासयाई, एवामेव सपुव्वावरेणं अद्भुट्ठाओ कहाणगकोडीओ हवंतित्ति समक्खायं । नायाधम्मकहाणं परित्ता वायणा, संखिज्जा अणुओगदारा, संखिज्जा वेढा, संखिज्जा सिलोगा, संखिज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखिज्जाओ संगहणीओ, संखिजाओ पडिवतीओ। से णं अंगट्टयाए छट्ठे अंगे, दो सुयक्खंधा, एगूणवीसं अज्झयणा, एगूणवीसं उद्देसणकाला, एगूणवीसं समुद्देसणकाला, संखेज्जा पयसहस्सा पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अनंता गमा, अनंता पज्जवा, परिता तसा, अनंता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जंति, पन्नविज्जंति, परुविज्जंति, दंसिज्जंति, निदं - सिज्जंति, उवदंसिजंति । से एवं आया, एवं नाया, एवं विष्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ । सेत्तं नायाथम्मकहाओ ६ ॥ ५१ ॥ से किं तं उवासगदसाओ ? उवासगदसासु णं समणोवासयाणं नगराई, उज्जाणाई, समोसरणाई, रायाणो, अम्मापयरो, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइयपरलोइया इडिविसेसा, भोगपरिचाया, पव्वज्जाओ, परियागा, सुयपरिग्गहा, तत्रोवहाणाई, सीलव्त्रयगुणवेरमणपचक्खाणपोस होववासपडिवज्जणया, पडिमाओ, उवसग्गा, संलेहणाओ, भप्तपश्चक्खाणाई, पाओवगमणाई, देवलोगगमणारं, मुकुलपचायाईओ, पुणबोहिलाभा, अंतकिरियाओ य आघविज्जंति । उवासगदसाणं परित्ता वायणा, संखेजा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखेज्जाओ निजतीओ, संखेज्जाओ संग्रहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्टयाए सत्तमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, दस अक्षयणा, दस उद्देसणकाला, दस समुद्देसणकाला, संखेजा पयसहस्या पयागेणं, संखेज्जा अक्सरा, अनंता गमा, अनंता पज्जया, परिता तसा, अता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपण्णत्ता भात्रा आघविजंति, पन्नविजंति, पविजंति, दंसिजंति, निदंसिज्जंति, उवदंसिज्र्जति । से एवं आया, एवं नाया, एवं विष्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविजइ । सेतं उवासगदसाओ ७ ॥ ५२ ॥ से १०७७
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy